पटना(ब्यूरो)। बिहार के मालदह आम के स्वाद का तो कहना ही क्या। इससे भी एक कदम आगे अगर आप इंडिया से बाहर अमेरिका और इंग्लैंड में रहते हैं और मालदह आम खाने के शौकीन हैं तो आपके लिए भी खुशखबरी है। इस बार भी दीघा का मालदह आम विदेश में आपके द्वार तक पहुंचेगा। इसके लिए स्थानीय कारोबारियों ने पूरी तैयारी कर ली है। हालांकि इस बार मंजर और टिकोले पर मौसम की मार पडऩे की वजह से उत्पादन कम हुआ है। इसकी वजह से इस बार मालदह आम महंगा हो सकता है। आम का कारोबार करने वाले अजहर ने बताया कि दीघा का मालदह आम पटना ही नहीं पूरी दुनिया में प्रचलित है। हो भी क्यों न लखनऊ के नवाब फिदा हुसैन पाकिस्तान के इस्लामाबाद के शाह फैसल मस्जिद इलाके से आम की इस खास प्रजाति का पौधा लेकर आए थे, जिसे रेलवे क्रासिंग और आसपास के इलाकों में लगाए। आम की सिंचाई गाय के दूध से की थी। इसलिए इसका नाम दूधिया मालदह पड़ा। ऐसे आम का स्वाद चखना हर कोई चाहता है,
लेकिन संसाधन और ऑनलाइन बुकिंग नहीं होने के चलते विदेशों तक आम की खेप नहीं पहुंच पा रही है। अमेरिका-इंग्लैंड में रहने वाले अपने परिजनों के लिए लोग एडवांस बुकिंग कर रहे हैं । पढि़ए खसा रिपोर्ट

ऑन द स्पॉट मिलेगा फल

आम का कारोबार करने वाले राकेश ने बताया कि दीघा क्षेत्र में आम की बिक्री 20 दिनों के बाद शुरू होगी। रोहिणी नक्षत्र में मालदह पकते हैं। इसमें अभी करीब 20 दिन का समय है। उन्होंने बताया कि आम टूटने से तकरीबन तीन चार दिन पहले आम की बुकिंग शुरू होगी। उन्होंने बताया कि आम की बुकिंग पहले इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि आम का व्यापार कच्चा बिजनेस है। आंधी-तूफान आने पर फसल का नुकसान हो सकता है। इसलिए एडवांस बुकिंग नहीं कर रहे हैं।

20 दिनों के बाद खुलेगा रेट

दीघा में मालदह आम का बागीचा खरीदने वाले चलितर राय ने बतया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल आम की पैदावार कम हुई है। मंजर और टिकोले के बाद गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गई और बारिश नहीं होने के चलते आम का टिकोला सूख कर गिरने लगा। 60 फीसदी फसल नुकसान होने के चलते आम की पैदावार पिछले साल के अपेक्षा कम हुई है। इसलिए रेट भी पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा रहेगा। हालांकि दीघा के मालदह आम के रेट पर उन्होंने बताया कि रेट 20 दिन के बाद ही खुलेगा।

80 पेड़ ही बचे हैं

भारत -पाकिस्तान अलग होने से पहले पटना के दीघा एरिया में दूधिया आम की प्रजाति ज्यादा फैल गई थी। इंडिया हर राज्य में यहां के आम की सप्लाई होती थी, लेकिन शहरीकरण और विकास के चलते आम के बगीचों में बहुमंजिला इमारत बन गई है। दीघा क्षेत्र स्थित आत्म दर्शन और आसपास के इलाकों को मिलाकर कुल 80 पेड़ ही बचे। इस पेड़ की शाखा शहर के बाहर अन्य इलाकों में खूब लगाई गई है, लेकिन दीघा से इसका अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर मिल चुकी है पहचान

आम का कारोबार करने वाले कारोबारियों ने बताया कि 1997 में सिंगापुर में हुई आम प्रदर्शनी में इसने पहला स्थान प्राप्त किया था। इसके अलावा हर साल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को दीघा का आम भेजा जाता है।

अक्टूबर से करने लगते हैं तैयारी

दीघा स्थित आत्म दर्शन और तरु मित्र आश्रम में लगे आम के पेड़ में लगने वाली फसल का कारोबार ठेके के आधार पर होता है। आत्म दर्शन परिसर में ठेके पर कारोबार करने वाले चलितर राय ने बताया कि आम की फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए अक्टूबर से तैयारी करने लगते हैं। मंजर के लिए खेत की जुटाई के साथ मंजर से पहले कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है।