- पर्यावरण को नुकसान से मुख्यमंत्री आहत

- मुख्य सचिव को पहले खुद पूरी स्थिति को देख आने को कहा

- कहा, अगर जरूरत पड़े तो संबंधित जिले के कलक्टर को भी बिठाएं

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क्कन्ञ्जहृन् :

जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम के तहत सोमवार को जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फसल अवशेष जलाने की खबरों से आहत दिखे। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव दीपक कुमार को कहा कि लीजिए हेलीकॉप्टर और कल से ही जाकर देख लीजिए कि किस तरह से किसान फसल अवशेष जला रहे हैं। देर मत कीजिए। तीन दिनों तक हेलीकॉप्टर को इसी काम में लगा लीजिए। दो से तीन दिनों के भीतर पूरी जानकारी मिल जानी चाहिए। देखने के बाद ही कोई योजना बनाएं। वर्ष 2019 से इस बार यह ज्यादा दिख रहा।

लोग जला रहे फसल अवशेष

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में वह बांका गए थे। ऊपर से यह देखा कि सारे इलाके में लोग फसल अवशेष जला रहे हैं। ऊपर से देखने में यह भी साफ दिखेगा कि कहां-कहां लोगों ने फसल अवशेष जला दिया है, क्योंकि खेत काला दिखेगा। मुख्य सचिव कल खुद देख लें और उसके बाद कृषि विज्ञानी को दिखाएं। जरूरत पड़े तो संबंधित जिले के कलक्टर को भी बिठा लें, क्योंकि लोकेशन का भी साफ पता चलता है। यह तो साफ दिखता है कि नीचे के स्तर पर बात नहीं पहुंची।

किसानों को कौन बता रहा यह

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि ऐसा लगता है कि फसल अवशेष को जलाने से रोकने की जो बात हम कर रहे वह किसानों तक नहीं पहुंच रही। केवल अखबारों तक छप कर रह जा रही और टीवी में कुछ दिख जा रहा। हमने खुद यह देखा है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष फसल अवशेष जलाने की प्रवृत्ति अधिक दिख रही। ऐसा लगता है कि गलत चीजों को समझाने वाले लोग ज्यादा प्रभावी हैं। अधिकारी स्वयं इसे जाकर देखें। मुख्यमंत्री आवास स्थित नेक संवाद कक्ष में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ने यह बात कही।

डीएम देखें स्थिति

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी डीएम यह देख लें कि क्या स्थिति है। हम बहुत अधिक सब्सिडी दे रहे फसल अवशेष के प्रबंधन वाले यंत्रों पर, पर इसका क्या असर पड़ रहा है? असल में जो लोग बाहर से आ रहे वह किसानों को यह बता रहे कि फसल अवशेष को जला दो। कौन हैं ये लोग, यह जानना भी जरूरी है। पर्यावरण के खिलाफ यह काम करना कौन सीखा रहा है।

पर्यावरण की चिंता

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण बचाने के लिए किसानों को समझाना जरूरी है। किसानों तक नहीं पहुंची है यह बात। अभी हम किसी तरह की कार्रवाई की कोई बात नहीं कह रहे। एक तरफ हम पर्यावरण की चिंता करते हुए काम कर रहे, दूसरी ओर पर्यावरण को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने का यह काम हो रहा। लोग अभी समझ नहीं रहे पर बाद में इस वजह से उनके कृषि का खर्च बढ़ेगा। लोगों को जागरूक कीजिए। पटना राजधानी है और यहां भी यह हो रहा। नालंदा में भी जला रहे।