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क्कन्ञ्जहृन् : मैं तो धातु का टुकड़ा थाजो जाने कितने लंबे समय से धरती के गर्भ में दबा थाआजादी के लिए रोता रहाऔर अब जबकि मेरी गुहार सुन ली गईमुझे जमीन से बाहर आने का मौका मिल गयाइसके बावजूद दुनिया ने मुझे अपने काबिल नहीं समझा और नजरों से ओझल कर दिया।

जी हां हम बात कर रहे हैं उन 28 हजार सिक्कों की जो कभी पटना संग्रहालय की शोभा बढ़ाते थे। लोगों को अपना स्वर्णिम इतिहास बताते थे। आज वे गोदाम में कैद हैं। इन दुर्लभ पंचमा‌र्क्ड सिक्कों को आज कोई देखना चाहे तो शायद गोदाम खुलवाना पड़े। हैरत यह कि बिहार के कोने-कोने से लोग इन सिक्कों को देखने संग्रहालय आते हैं लेकिन हाथ लगती है निराशा। और यह सब हो रहा है संग्रहालय प्रशासन की लापरवाही के कारण। क्योंकि एक साल बाद भी सिक्कों को गोदाम से निकाल डिस्प्ले में सजाने की जहमत नहीं की गई। आज आई नेक्स्ट आपको बता रहा है कुछ ऐसे ही सिक्कों की कहानी जो भारतीय सभ्यता की पहचान थी

2000 सिक्के सहरसा भेजे गए।

वर्षों पहले खुदाई के दौरान सहरसा में काफी मात्रा में पतराहा होड के सिक्के मिले थे, जिसे निशानी के तौर पर पटना संग्रहालय में रखा गया था लेकिन वहां के लोगों की मांग पर 2000 सिक्कों को पिछले साल सहरसा के ही बाबा खारु संग्रहालय भेज दिया गया।

621 का ही हुआ चयन

2000 सिक्कों को सहरसा भेजने के बाद बाकी बचे 26 हजार सिक्कों में से 621 सिक्कों का चयन निरीक्षण के लिए किया गया। इसके बाद 25379 सिक्के अभी भी पटना म्यूजियम के गोदाम में यूं ही रख दिया गया है।

जा सकते हैं बिहार म्यूजियम

पटना संग्रहालय के उपाध्यक्ष शंकर सुमन ने बताया कि तकनीकीकारणों से सिक्कों का डिस्प्ले नहीं किया जा सकता हैं। क्योंकि डिस्प्ले करने से ये सिक्के असुरक्षित हो जाएंगे। लिहाजा, बिहार में बन रहे व‌र्ल्ड क्लास के संग्रहालय बिहार म्यूजियम में इनका डिस्प्ले किया जाएगा।

यहां से मिले थे सिक्के्र

ये दुर्लभ सिक्के मुख्य रूप से निखात होर्ड से प्राप्त हैं। इसके अलावा गोलकपुर होर्ड, मछुआ होर्ड, तारेगना होर्ड, गोरहोघाट होर्ड के अलावा अन्य प्रांत के पंचमा‌र्क्ड सिक्के संकलित हैं।

क्या हो सकता है नुकसान

विशेषज्ञ डॉ। अनंताशुतोष द्विवेदी ने बताया कि आम तौर पर प्रोटेक्टिव लेप लगाए बिना सिक्कों को कागज की थैली में बंद कर गोदाम में रख दिया जाता है। नतीजा यह होता है कि कुछ दिनो के बाद सिक्कों का छरन होने लगता है। डिस्प्ले में रहने से समय समय पर विशेषज्ञों द्वारा प्रोटेक्टिव लेप लगाया जाता है। इसलिए सिक्के का डिस्प्ले जरूरी है।

ये सिक्के कैद में

मौर्य कालीन पंचमा‌र्क्ड सिक्के।

बंगाल के सुल्तान का चांदी का सिक्का।

समुद्र गुप्त का सोने का सिक्का।

अकबर का रुपया।

जहांगीर का रुपया।

शेरशाह का चांदी का सिक्का।

चन्द्र गुप्त द्वितीय का ताम्र सिक्का।

कुमार गुप्त प्रथम का चांदी का सिक्का।

कनिष्क का सोने का सिक्का।

मुहम्मद तुगलक का पीतल का सांकेतिक सिक्का।

कनिष्क का ताम्र सिक्का।

फिलहाल सिक्कों को पटना संग्रहालय में डिस्प्ले में लगाने की कोई योजना अभी नहीं है। आने वाले दिनों में इन सिक्कों का डिस्प्ले बिहार म्यूजियम में किया जाएगा।

- शंकर सुमन, उपाध्यक्ष पटना संग्रहालय