पटना (ब्यूरो)। पटना सिटी के कण-कण में इतिहास बसा है। इसी में सबसे महत्वपूर्ण है मौर्य शासकों को बेहद शक्तिशाली और विस्तारवादी बनाने वाले चाणक्य से जुड़े धरोहर। सिटी चौक से चंद कदम की दूरी पर अवस्थित चाणक्य की गुफा की पहचान गायब हो रही है। इसकी पहचान बचाने के लिए तमाम प्रयास किए गए। लेकिन सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण ही यहां कूड़े ढेर लगा हुआ है। जानकारी हो कि मौर्य वंश का शासन क्षेत्र पाटलिपुत्र (आज का पटना) से लेकर अफगानिस्तान तक था। इस गुफा की हालिया स्थिति बहुत खराब है। गुफा के अंदर की मूर्ति पहले ही चोरी हो चुकी है। एक चहारदीवारी बची है, जिस पर चाणक्य की गुफा अंकित है, लेकिन पहले जो गुफा थी, वह मिट्टी और कूड़े के ढेर से ढक चुकी है।

धर्मशाला घाट के पास है गुफा
मौर्यकाल के दौरान पटना न केवल देश की राजनीतिक राजधानी रहा बल्कि सामाजिक, साहित्यिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों का भी प्रमुख केंद्र रहा। इसी कारण इस नगर में कई प्राचीन ऐतिहासिक, पुरातात्विक तथा धार्मिक स्थल आज भी मौजूद हैं। उसी में से एक है चाणक्य गुफा। पटना सिटी चौक के ठीक सटे हीरानंद शाह की गली से पश्चिम एक गली सीधे उत्तर की ओर चली गई है। जिसे लोग धर्मशाला घाट गली के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि सेठ जगत राम के दीवान राय मदन लाल और अनंत लाल काफी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनका बनवाया हुआ विशाल धर्मशाला आज भी गुरु गोविन्द पथ के पास स्थित है। धर्मशाला घाट का निर्माण उनके पूर्वजों के हाथों हुआ था। इसलिए इस घाट का नाम धर्मशाला घाट पड़ा। यहीं एक गुफा है जो कि चाणक्य की गुफा के नाम से प्रसिद्ध है।

साधना का केन्द्र
चाणक्य ने अपनी शिखा (चोटी) तब तक नहीं खोलने की कसम खाई थी, जब तक नंद वंश का नाश न हो जाए। उन्होंने इसी स्थान पर शांति प्राप्त करने के लिए अज्ञात रूप में इसी गुफा में वास किया था। यहीं पर गुप्त कोषागार भी था। तीसरी शताब्दी में मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में इस स्थान का उल्लेख किया है। उनके अनुसार, चाणक्य ने दृढ़ संकल्प की पूर्ति के बाद शिखा (चोटी) बंधन किया था। यहीं से साधनाओं को करते हुए अपनी मंत्रणा देते थे। मेगास्थनीज के अनुसार, चाणक्य पाटलिपुत्र से जुड़े थे और यहीं गंगा तट पर रहकर राज्य का संचालन करते थे। उनके शिष्य भी यहां रहते थे। महत्वपूर्ण है शिखा बंधी हुई चाणक्य की मूर्ति पूरे भारत में यहीं रखी थी। लेकिन यह अब चोरी हो चुकी है।

छिपी थीं कई स्मृतियां
चाणक्य की गुफा अपने भीतर कई स्मृतियों को समेटे हुए थी। जिससे चाणक्य के बारे में जानकारी मिली थी। गुफा से चाणक्य की ढेर सारी मूर्तियों के अलावा अस्त्र-शस्त्र भी मिले थे। ऐसा माना जाता है कि नंदवंश का नाश करने के बाद चाणक्य यहां आये थे क्योंकि इस गुफा से प्रस्तर चाणक्य की मूर्तियों में उनकी शिखा बंधी हुई थी। वर्ष 1934 के भूकंप और 1935 की बाढ़ के कारण गुफा और मंदिर ध्वस्त हो गया। साथ ही गुफा से दुर्लभ सामग्रियां बाढ़ में बह गई।

खुदाई पर मिलेंगी अहम जानकारियां
पटना सिटी मुख्य रूप से मौर्यकालीन और इससे पहले के ऐतिहासिक और वैभवपूर्ण विरासत की खान रहा है। ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण में पटना जिला सुधार समिति ने कला संस्कृति विभाग, बिहार सरकार को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है कि पटना सिटी के कछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए खुदाई की जाए। ताकि इसमें दफन इतिहास की जानकारियां मिल सके।

मौर्यकालीन इतिहास के बेहद महत्वपूर्ण किरदार में चाणक्य का नाम आता है। पटना से जुड़ी उनकी कई धरोहर है, जिसे संरक्षित करने की जरूरत है।
- राकेश कपूर, महासचिव, पटना जिला सुधार समिति

चाणक्य गुफा के बारे जानकारी मिली है। इसको देखवा लेती हूं। अगर हालात ठीक नहीं है तो जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
- वंदना प्रेयशी, सचिव कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार