PATNA: अपराधियों को कोर्ट में पेश कराने में पटना पुलिस फेल हो रही है। अब ऐसे मामलों में पुलिस की मुश्किल बढ़़ जाएगी। अगर अपराधियों को समय से कोर्ट में नहीं पहुंचाया तो अफसरों से लेकर थानेदारों तक के वेतन पर संकट आ जाएगा। ऐसे ही एक मामले में न्यायालय ने पुलिस की मुश्किल बढ़ा दी है।

अपराधी को न्यायालय में हाजिर कराने में फेल हो रही पुलिस के चलते एसएसपी के साथ अन्य कई पुलिस पदाधिकारियों के वेतन रोकने के लिए न्यायालय ने डीजीपी सहित अन्य अफसरों को आदेश जारी किया है। पटना हाईकोर्ट ऐसे मामलों को लेकर काफी गंभीर है। कुर्की जब्ती के साथ अन्य मामलों में पुलिस की तरफ से हो रही लापरवाही को लेकर अफसरों को फटकार लग रही है।

ऐसे होती है लापरवाही

विभिन्न अपराधों में वांछितों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की बड़ी जिम्मेदारी होती है। किसी भी मामले में जब तक अपराधियों की शत प्रतिशत गिरफ्तारी नहीं हो जाती है तब तक उसका केस भी न्यायालय में पेडिंग रहता है। ऐसे में जब पुलिस अपराधियों को गिरफ्तार नहीं करती है तो न्यायालय में संबंधित केस की सुनवाई और फैसले में देरी होती है। अक्सर पुलिस को समन संबंधित तक पहुंचाने और अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए कुर्की जब्ती के साथ अन्य सख्ती करने में लापरवाही होती है। ऐसे ही मामले को लेकर पुलिस को फटकार लगती है लेकिन काम का बोझ कहें या फिर मनमानी पुलिस अपराधियों को पकड़ने में पूरी तरह से दबाव नहीं बना पाती है।

कोर्ट की सख्ती से होगा सुधार

न्यायालय ने ऐसे मामलों में संबंधित पुलिस पदाधिकारियों और जिम्मेदार अफसरों का वेतन रोकने संबंधित आदेश जारी करना शुरू कर दिया है। कोर्ट की जब भी सख्ती हुई तो पुलिस की कार्य प्रणाली में सुधार हुआ है। पटना पुलिस के लिए भी न्यायालय से ऐसे ही पत्र विभाग के आला अफसरों के लिए जारी किया गया है। भोजपुर के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रणव शंकर ने पटना के एसएसपी के साथ दीघा के एसएचओ पूछा है कि क्यों न उनका वेतन रोक दिया जाए। कोर्ट ने दीघा थाना को आठ वर्ष पुराने लूट के मामले में वांटेड सुजीत यादव के लिए कुर्की जब्ती का वारंट जारी किया तथा उसे एसएसपी के माध्यम से तामील कराने को कहा गया था। कोर्ट ने एसएसपी को रिमाइंडर भी भेजा लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले की जानकारी कोर्ट ने डीजीपी और आईजी को भी भेजी है।