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पटना के सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल आईजीआईएमएस में तैनात डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस चल रही है। संस्थान से मिलने वाला पैसा उनके लिए कम पड़ रहा है जिससे कड़े नियम के बाद भी वह धड़ल्ले से प्राइवेट अस्पताल चला रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट डॉक्टरों की मनमानी का बड़ा खुलासा करने जा रहा है। स्टिंग ऑपरेशन से हम ऐसे डॉक्टरों को बेनकाब करने जा रहे हैं जो संस्थान को दिए गए शपथ पत्र को भूलकर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं।

स्टिंग में सामने आए कई डॉक्टरों के नाम

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को शिकायत मिली कि प्रतिबंध और सख्ती के बाद भी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। जब पड़ताल की गई तो कई डॉक्टरों का नाम सामने आया। आईजीआईएमएस के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर जनार्दन शर्मा भी इसमें से एक हैं। वह आरा के पकड़ी में सागर मेडिकल हॉल पर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। इतना ही नहीं वह राजधानी के कंकडबाग में केंद्रीय विद्यालय के गेट नंबर एक के सामने भी इलाज करते हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के हाथ उनका पर्चा और प्रचार सामग्री लगी है जिसमें फीस के साथ प्रैक्टिस की अन्य जानकारी है। आइए अब बताते हैं स्टिंग में मोबाइल पर हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

रिपोर्टर - सर मेरी बात डॉक्टर जनार्दन शर्मा से हो रही है?

डॉक्टर - जी हां मै डॉक्टर जनार्दन शर्मा बोल रहा हूं।

रिपोर्टर - वही, आईजआईएमएस वाले डॉक्टर न?

डॉक्टर - हां, हां बोलिए क्या बात है।

रिपोर्टर - सर मुझे मरीज दिखाना था लेकिन जो आपके पर्चे पर नंबर लगाने के लिए फोन नंबर है वह अटेंड नहीं हो रहा है?

डॉक्टर - कोई बात नहीं कहां दिखाना है?

रिपोर्टर - आरा में ही मरीज को दिखाना है और आप यहां रविवार को मरीज देखते हैं ये पता चला है?

डॉक्टर - कोई बात नहीं आप आ जाइएगा मरीज को लेकर देा लूंगा।

रिपोर्टर - सर आप कितने बजे से आरा में मरीज देाते हैं?

डॉक्टर - आप 10 बजे आइए, इलाज हो जाएगा।

क्या है संस्थान का नियम

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल है और यहां डॉक्टरों के लिए काफी कड़ा नियम रखा गया है।

नियम है कि इस संस्थान में तैनात डॉक्टर किसी भी दशा में प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे।

प्राइवेट प्रैक्टिस में पकड़े गए डॉक्टरों को पहले नोटिस दी जाएगी फिर उन्हें सस्पेंड कर दिया जाएगा।

प्राइवेट प्रैक्टिस पर अंकुश लगाने के लिए संस्थान ने टीम बनाई है जो डॉक्टरों की जांच पड़ताल करती है।

टीम की रिपोर्ट पर संस्थान के प्रशासनिक अफसर काम करते हैं।

रिपोर्ट मिलने के बाद संस्थान बड़ा एक्शन लेता है।

एनपीए को लेकर इस संस्थान में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने में फेल है संस्थान

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। इसके लिए बनाई गई टीम ाी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस का पता नहीें लगा पा रही है। यही कारण है कि कड़े नियम के बाद भी डॉक्टर मनमानी कर रहे हैं जिससे मरीजों को संस्थान में बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है। कई ऐसे डॉक्टर हैं जो प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। पूर्व में भी संस्थान की टीम ने आधा दर्जन डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करते पकड़ा था लेकिन इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई। नियम से सभी डॉक्टरों को सस्पेंड करना चाहिए था लेकिन इस मामले में क्या कार्रवाई हुई यह भी बड़ा सवाल है। टीम क्यों निष्क्रिय है इस पर भी सवाल खड़ा किया जा रहा है। डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस के पीछे पॉलिटिकल दबाव को लेकर भी चर्चा है।

डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस किसी भी दशा में नहीं चल पाएगी। डॉक्टर जनार्दन शर्मा के खिलाफ प्रमाण मिला तो कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। एन आर विश्वास, डायरेक्टर आईजीआईएमएस