PATNA : सरकारी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान अब कार्पोरेट की राह चल पड़ा है। यहां इमरजेंसी से लेकर कई स्वास्थ्य सेवाओं का रेट पांच गुना बढ़ा दिया गया है। इमरजेंसी के आईसीयू में 11 सौ रुपए बेड चार्ज के बदले अब पांच हजार रुपए देना होगा। साधारण मरीजों के लिए यह किसी बड़े मर्ज से कम नहीं है क्योंकि आईजीआईएमएस की पहचान ही कम खर्च में प्राइवेट अस्पताल जैसी सुविधाएं देने के लिए रही है। संस्थान का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों ने आईजीआईएमएस को मरीजों का डम्पिंग वार्ड बना दिया था, इसलिए चार्ज बढ़ाना मजबूरी हो गया था।

प्राइवेट अस्पताल कर देते हैं रेफर

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कम खर्च पर प्राइवेट अस्पताल से भी बेहतर सुविधाएं मिल जाती रही हैं। इसका फायदा प्राइवेट अस्पताल खूब उठाते हैं। वह पहले गंभीर से गंभीर रोग से पीडि़त मरीजों को अपने यहां भर्ती करते हैं और फिर जमकर पैसा चूसने के बाद उन्हें इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान भेज देते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या हर दिन अधिक संख्या में होती है। कई मरीज तो ऐसे भी रहे हैं जो प्राइवेट अस्पतालों से रेफर होने के बाद आईजीआईएमएस में लंबे समय से भर्ती हैं।

मरीजों की राह होगी मुश्किल

रेट पांच गुना बढ़ाए जाने और एडवांस की रकम अधिक करने से गरीब पेशेंट को इलाज कराने में काफी मुश्किल आएगी। अब मरीजों को इमरजेंसी से लेकर अन्य स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए अधिक रकम देनी पड़ेगी। ऐसे में अधिकतर मरीजों को फिर पीएमसीएच की भीड़ का हिस्सा बनना पड़ेगा क्योंकि वहां आज भी गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज बहुत ही कम खर्च में हो जाता है।

डीजे आई नेक्स्ट के सवाल पर जिम्मेदार ने बताई वजह

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में अचानक से स्वास्थ्य सेवाओं के रेट में पांच गुना बढ़ोत्तरी को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनीष मंडल से बात की तो रेट बढ़ने के लिए कई बड़ी वजह सामने आई। बातचीत में डॉ मनीष मंडल ने कुछ इस तरह बताई मजबूरी।

रिपोर्टर - अचानक से स्वास्थ्य सेवाओं का रेट बढ़ाए जाने के पीछे क्या वजह है?

चिकित्सा अधीक्षक - संस्थान को प्राइवेट अस्पतालों ने डम्पिंग वार्ड बना दिया था, इसलिए दिक्कत हो गई थी।

रिपोर्टर - लेकिन अचानक से रेट बढ़ाया गया, ऐसा क्यों?

चिकित्सा अधीक्षक - अचानक से नहीं बढ़ाया गया। इसके लिए मंत्री की अनुमति के बाद बैठक में निर्णय लिया गया।

रिपोर्टर - ऐसे मरीजों से क्या-क्या समस्या आ रही थी?

चिकित्सा अधीक्षक - ऐसे मरीज भर्ती हो जाते हैं और महीनों पड़े रहते हैं। कई लकवा के मरीज भी लंबे समय से पड़े हैं।

रिपोर्टर - रेट पांच गुना बढ़ाने से मरीजों को काफी दिक्कत होगी?

चिकित्सा अधीक्षक - कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि काफी मंथन के बाद ऐसा किया गया है। रेट बढ़ने के बाद भी मरीज बढ़े हैं।

रिपोर्टर - रेट और कम हो सकता था, क्यों पांच गुना बढ़ाया गया?

चिकित्सा अधीक्षक - बैठक में निर्णय लिया गया था कि रेट बढ़ाया जाए लेकिन बाहर से वन थर्ड ही हो, ऐसा ही किया गया है।