- आईआईटी पटना के प्लाज्मा स्प्रे कोटिंग लेबोरेटरी में ग्रेफाइट से निकाला गया 'गे्रफीन'

- जल्द ही कुछ मोडिफिकेशन के साथ किया जाएगा पेटेंट

- फ्यूचरिस्टिक मैटेरियल है ग्रेफीन, फ्यूचर में ग्रेफीन कर सकता है स्टील को रिप्लेस

PATNA :

इनोवेशन के साथ आगे बढ़ना भले ही कठिन हो, लेकिन उससे प्राप्त लक्ष्य से एक साथ कई काम साधे जा सकते हैं। या यूं कहें कि एक तकनीक के सहारे कई प्रकार के यूटिलिटी प्रोडक्ट डेवलपमेंट से एक साथ कई विकल्प खुल सकते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आईआईटी पटना के इनोवेशन लैब में रिचर्स करने वालों की टीम ने। यह टीम है मेटालर्जिकल एंड मैटेरियल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की। टीम का पूरा इनोवेशन और रिसर्च ग्रेफाइट पर है। टीम ने आईआईटी पटना के प्लाज्मा स्प्रे कोटिंग लेबोरेटरी में ग्रेफाइट से ग्रेफिन को निकाला। खास बात यह है कि प्रक्रिया बिना किसी टॉक्सिक केमिकल के ही निकाला। इसके लिए प्लाज्मा स्प्रे तकनीक का प्रयोग किया गया। इससे बहुत अधिक मात्रा में ग्रेफिन निकाला जा सकता है।

फ्यूचरिस्टिक मैटेरियल पर किया काम

रिसर्च टीम के लीडर ने इस रिसर्च वर्क के बारे में बताया कि ग्रेफाइट का प्रयोग पहले से हो रहा है, लेकिन इससे गे्रफिन निकालकर इसका बडे़ स्तर पर मेटल, पॉलीमर, सीरामिक और इलेक्ट्रानिक्स के क्षेत्र में करने का रास्ता खुल गया है। ग्रेफिन एक ऐसा मैटेरियल है जो कि स्टील से 100 गुना अधिक मजबूत और हल्का है। यह इनका रिप्लेसमेंट हो सकता है। यह एनर्जी सेक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और सीरामिक इंडस्ट्रीज में कई क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह फ्यूचर मैटेरियल है।

एक रिसर्च, कई एप्लीकेशन

इस रिसर्च वर्क के एक साथ कई एप्लीकेशन हैं जिससे इसके महत्व को समझा जा सकता है। टीम लीडर अनुप ने बताया कि ट्रांपैरेंट कंडक्टिव फिल्म (टीएएफ) में इसका बहुत उपयोग किया जा सकता है। टीएएफ इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में एक महत्वपूर्ण कंपोनेट है जैसे ओलेड, टचस्क्रीन और हाई परफॉरमेंस इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस जैसे चिप, बैटरी, कैपेसिटर में, प्रोटेक्टिव कोटिंग में भी किया जा सकता है। इसके साथ ही मेटल, पॉलीमर, सीरामिक कंपोजीशन में कोई प्रॉपर्टी घट रही है तो इसका प्रयोग कर उसे पूरा किया जा सकता है।

दो साल लगा रिसर्च में

इस रिसर्च टीम का नेतृत्व कर रहे असिस्टेंट प्रोफेसर अनुप कुमार केशरी ने बताया कि इस रिसर्च वर्क में लगभग दो साल का समय लगा। काम कठिन था लेकिन टीम ने मिलकर परिणाम मिलने तक भरपूर काम किया। इस टीम में अनुप के साथ रिसर्च आथर मो। अमीनुल इस्लाम, विश्वज्योति मुखर्जी और कृष्णकांत पांडेय शामिल रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित

इनोवेशन और रिसर्च टीम के लीडर और मेटालर्जिकल एंड मैटेरियल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर अनुप कुमार केशरी ने बताया कि आईआईटी पटना में इस इनोवेशन को बहुत सम्मान प्राप्त हुआ है। इसी जनवरी माह में यह रिसर्च वर्क अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के 'एसीएस नैनो' के जर्नल में प्रकाशित किया गया है। यह एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल है, जिसमें इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

भविष्य की प्लानिंग

रिसर्च टीम से मिली जानकारी के अनुसार यह ऐसा रिसर्च वर्क है जिससे देश एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में अपनी धाम जमा सकता है। टीम के काम को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने और इसके फ्यूचर प्लान में कोई बाधा न हो इसके लिए जल्द ही इसे रिफाइनमेंट के बाद पेटेंट भी कराया जाएगा। इसमें आवश्यकतानुसार कुछ मोडिफिकेशन भी किया जाएगा। टीम के मुताबिक इस रिसर्च वर्क का एप्लीकेशन बहुत अधिक है। इसलिए इसकी यूटिलिटी भी अधिक है।