-बच्चों को बचाने के संकल्प के साथ कन्कलूड हुआ एनएनएफ कंवेंशन

-अगला एनएनएफ भुवनेशवर में होगा आर्गनाइज

PATNA: नवजातों को बचाने के कई संकल्पों के साथ पटना में नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम का 34वां कन्वेंशन कन्कलूड हो गया। इसमें देश-विदेश के 1500 से अधिक डेलीगेट ने पार्टिसिपेट किया। फोरम के प्रेसिडेंट डॉ शेखर जैन ने इसे सक्सेसफुल बताया। इसमें 15 से अधिक वर्कशाप, कई लेक्चर और ओपन डिस्कशन हुआ। चार से सात दिसंबर तक मौर्या होटल में पेडियाट्रिक के एक्सपर्ट ने प्रजेंटेशन में दोहराया कि बच्चों को बचाने में अल्टरनेटिव व्यवस्था और मां को एम्पावर करने की बेहद जरूरी है। अगला कंवेशन 2015 में भुवनेशर में आयोजित होगा।

कम्यूनिटी केयर से बनेगी बात

एनएनएफ में साइंटिफिक कमेटी के चेयरपर्सन डॉ निगम प्रकाश नारायण ने आई नेक्स्ट से बात करते हुए बताया कि सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है कि हम बच्चों की मृत्युदर में अधिक से अधिक कमी लाएं। फिलहाल इंडिया में रूरल एरिया में एमएमआर 33 है, इसे नौ तक सीमित करना है। इसके लिए अल्टरनेटिव और कम्यूनिटी केयर पर जोर देना होगा। ज्ञात हो कि प्राइवेट सेक्टर में 70 परसेंट पेडियाट्रिक डॉक्टर हैं। ऐसे में प्राइवेट क्षेत्र, गवर्नमेंट और सिविल सोसाइटी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि अगर कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान रखा जाए तो अधिकांश समस्याओं का हल निकल आएगा।

For your help

-बच्चों को गर्म रखें

-सिर्फ मां का ही दूध बच्चों को दें

-बच्चों को छूने, चूमने के लिए न उमड़े, इनफेक्शन से बचाएं

-बच्चों को हाथ में लेने से पहले हैंडवाश करें

अनावश्यक एंटीबायोटिक नहीं

यह बेहद महत्वपूर्ण है कि नवजातों में इम्यून पॉवर एडल्ट जैसा नहीं होता है, वे इन्फेक्शन से बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं। एनएनएफ के साइंटिफिक कमेटी के डॉ एके जायसवाल ने बताया कि इससे ख्भ् परसेंट की मौत होती है। इसलिए प्रॉपर हैंडवासिंग को प्रमोट करने की जरूरत है। साथ ही बच्चों को मां के पास अधिक से अधिक समय केयर के लिए छोड़ना चाहिए। लेकिन अर्बन एरिया में ऐसा नहीं हो पाता है। इसके अलावा अनावश्यक एंटीबायोटिक का प्रयोग ज्यादा न करें। इससे रेसिसटेंस डेवलवल हो जाएगा और बीमारी दूर नहीं होगी।

एक वर्कशॉप कई महत्वपूर्ण बातें

एनएनएफ फोरम में आये डॉक्टरों ने नवजातों को बचाने के विभिन्न आयामों के बारे में वर्कशॉप, ओपन फोरम और प्रजेंटेशन के जरिए प्रमुखता से रखा। संडे को यूएसए के डॉ वासुदेव कामत ने कम वजन के बच्चों को बेहतर लिक्विड देने के तरीकों के बारे में बताया। वहीं, डॉ निरूपा नियोईया ने माडर्न नियोनेटोलॉजी और बच्चों को होने वाले फंगस के बारे में बताया। जबकि, डॉ पंकज अग्रवाल ने बच्चों को जन्म के समय सांस में होने वाली तकलीफों के बारे में चर्चा की।

नवजातों को बचाने के लिए हर स्तर पर बेहतर काम की जरूरत है। अधिक से अधिक आउटरीच, इनफेक्शन से बचाव और कम्यूनिटी लेबल पर एक साथ काम करने की जरूरत है।

-डा। निगम प्रकाश नारायण, चेयरमैन साइंटिफिक कमेटी, एनएनएफ

इंडिया में हर साल जन्म लेने वाले तीन करोड़ में से नौ लाख नवजात मर जाते हैं। देश में इन्हें बचाने के पर्याप्त साधन नहीं है। हमें अल्टरनेटिव केयर पर जोर देना होगा।

-डॉ अजय बंग, डायरेक्टर सर्च