-चारा घोटाले के एक मामले में सजा होने के बाद बयानबाजी से चढ़ा पटना का राजनीतिक पारा

क्कन्ञ्जहृन् : चारा घोटाले में लालू यादव की सजा के बाद शनिवार को जुबानी जंग तेज हो गई। राजनीतिक पार्टियों के नेता अलग-अलग शुर निकाल रहे हैं। कोई सजा को कम बता रहा है तो कोई इससे पार्टी को होने वाले नुकसान को खारिज कर रहा है।

पहली बार 135 दिन में मिली थी बेल

चारा घोटाले में पहली बार लालू 30 जुलाई 1997 को जेल गए थे। तब सीबीआइ की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया था। उस समय 135 दिन जेल में रहने के बाद 12 दिसंबर 1997 को बेल मिली थी। इसके बाद 28 अक्टूबर 1998 को चारा मामले में फिर जेल गए और 73 दिन बाद 8 जनवरी 1999 को मिली थी।

5 साल की सजा में 70 दिन बाद बेल

चारा घोटाले के एक अन्य मामले में 30 सितंबर 2013 को रांची स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने लालू सहित 45 अभियुक्तों को दोषी बताया। तीन अक्टूबर 2013 को सीबीआइ की विशेष अदालत ने 5 साल की सजा सुनाते हुए लालू को जेल भेज दिए। करीब 70 दिन बाद लालू को जमानत मिली थी।

चले बयान के तीर

सजा साजिश है। जनता ने जिन्हें चुना वह जेल में हैं और जिन्हें नकार दिया वह सत्ता में हैं। राजद में टूट की आशंका नहीं है। भाजपा-जदयू नकारात्मक राजनीति कर रही है। लालू न कभी डरे हैं, न डरेंगे और न ही झुकेंगे। संघर्ष जारी रहेगा।

-तेजस्वी यादव

न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और उम्मीद है कि अब हाईकोर्ट से हमें न्याय मिलेगा। जब भी लालू को जेल हुई है, हमारी पार्टी और मजबूत हुई है। सजा सामंती ताकतों की साजिश है। गरीब-गुरबों के हक के लिए लड़ने वालों के खिलाफ इस तरह की साजिश कोई नई बात नहीं है।

-तेज प्रताप

लालू प्रसाद कोई पहली बार जेल नहीं गए हैं, उनके खिलाफ पहले भी साजिश हुई है। हमें एकजुट रहना है और शांति भंग नहीं करनी है। हमें अदालत पर पूरा भरोसा है। अपील में जाएंगे, न्याय जरूर मिलेगा.जब लालू पहली बार जेल गए थे तब भी सबने हमारा साथ दिया था।

-राबड़ी देवी

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने जो पाप किए हैं उनकी सजा भुगतना ही उनका सही प्रायश्चित है। जिस समय 1996 में इस मामले की जांच आरंभ हुई उस वक्त लालू प्रसाद सत्ता में थे तो फिर उन्हें कौन फंसाता। न्यायालय ने साक्ष्य देखा और फैसला सुनाया। देर से ही सही पर आखिरकार दोषियों को सजा मिल ही गई।

-राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, जल संसाधन मंत्री

लालू प्रसाद ने गरीबों का निवाला छीना, उन्हें गरीबों की आह लगी है। कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। गरीब जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे हड़प कर-लूट कर जिन लोगों ने भी धन-संपत्ति अर्जित की है उन्हें कानून अपने शिकंजे में लेगा।

- नित्यानंद राय, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा

लालू अपने कर्मो की सजा भुगत रहे हैं। वह खुद को गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों के रहनुमा बताते रहे पर उनके ही हकमारी करते रहे। न्यायालय के फैसले का हम सभी को सम्मान करना चाहिए।

- माले

चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर आए फैसले का कोई असर कांग्रेस-राजद के गठबंधन पर नहीं पड़ेगा। चारा मामले पर लालू प्रसाद को सुनायी गई सजा न्यायिक प्रक्रिया का अंग है। इस पर कोई भी टिका टिप्पणी उचित नहीं होगा।

- सदानंद सिंह, नेता कांग्रेस विधानमंडल दल

सजा तो सजा होती है। वह साढ़े तीन साल की हो या सात साल की। इसमें राजनीतिक दुर्भावना जैसे आरोप गलत हैं। जो लोग जाति के आधार पर सजा देने का कोर्ट पर आरोप लगा रहे हैं उन्हें बताना चाहिए कि आज जिन्हें सात साल की सजा मिली है वे किस जाति के हैं?

- सुशील कुमार मोदी, डिप्टी सीएम