-मोतिहारी में मिला पाटलिपुत्र से अगवा मनीष, आठ अपहर्ता गिरफ्तार

PATNA : पाटलिपुत्र के पॉलीटेक्निक चौराहे के पास से अगवा बक्सर जिले के चौसा प्रखंड के पैक्स अध्यक्ष मनोज सिंह कुशवाहा के अपहृत बेटे मनीष रंजन को कुछ स्टूडेंट्स ने ही पैसे की किल्लत दूर करने के लिए किडनैप किया था। यह खुलासा तब हुआ जब सोमवार को पटना पुलिस की टीम ने मोतिहारी के एक लॉज से मनीष को बरामद किया। पुलिस ने घटना में यूज किए गए कार को जब्त करने के साथ कुल आठ किडनैपर को भी गिरफ्तार किया गया है। इस कांड में दो आरोपित अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश में पटना पुलिस छापेमारी कर रही है।

पूछताछ में आरोपितों ने किडनैपिंग की जो कहानी सामने आई, उसने पुलिस को चौंका दिया। पूछताछ में मालूम हुआ कि सभी अपहरणकर्ता छात्र हैं और पैसों की किल्लत होने के कारण अपहरण उद्योग में कदम रखा है। वे जूम कार लेकर शिकार की तलाश में निकले थे। मनीष को उन्होंने सॉफ्ट टारगेट समझा और उठा लिया। उन्होंने मनीष के पिता से पांच से दस लाख के बीच फिरौती मांगने की सोची थी, लेकिन पहले ही पकड़े गए।

कैमरे में दिख गई लाल रंग की कार

पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले तो उसमें लाल रंग की एक स्विफ्ट कार नजर आई। राघवेंद्र ने उस कार की पहचान की। उसपर बंगाल का रजिस्ट्रेशन नंबर था। छानबीन में मालूम हुआ कि यह जूम कार (वैसी गाड़ी जिसे लोग खुद चलाने के लिए भाड़े पर लेते हैं) है। 11 जनवरी को पुलिस कार की तलाश में आरपीएस मोड़ स्थित पार्किंग लॉट में पहुंची। तब तक कोई और कार को भाड़े पर लेकर चला गया था। जब पुलिस ने गुरुवार (नौ जून) के बारे में पता लगाया तो मालूम हुआ कि युवराज सिंह नामक लड़के ने कार भाड़े पर ली थी। युवराज अभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका है।

युवराज के मोबाइल से खुला राज

पुलिस ने जब युवराज की कॉल डिटेल खंगाली तो उसमें रानू नंदा का नंबर मिला, जिसके मोबाइल की लोकेशन घटना के समय पाटलिपुत्र इंडस्ट्रियल एरिया में मिल रही थी। वह मोतिहारी का रहने वाला है। कॉल डिटेल में ही राहुल कुमार उर्फ चरसी उर्फ आर्यन (बानुछापड़, वार्ड नंबर 15, पश्चिमी चंपारण) और अंकित कुमार उर्फ अंकित सरकार (सीडीए कॉलोनी मकान संख्या 54बी) के नंबर मिले। आर्यन की लोकेशन बेतिया और अंकित की एसके पुरी में मिली। तफ्तीश में मालूम हुआ कि अंकित पूर्व में शास्त्री नगर थाने से जेल जा चुका है। तब पुलिस ने अंकित को उठाया। उसकी निशानदेही पर बेतिया से आर्यन और रानू मिश्रा उर्फ रजनीश को उठाया तो मालूम हुआ कि मनीष को मोतिहारी के लॉज में रखा गया है।

तीन बजे रात में शुरू हुआ ऑपरेशन :

लॉज का पता मिलने के बाद सोमवार तड़के तीन बजे सिटी एसपी विनय तिवारी के नेतृत्व में विशेष सेल के इंस्पेक्टर मो। कैसर आलम व विनय प्रकाश, दारोगा गुलाम मुस्तफा समेत 13 पुलिसकर्मी मोतिहारी के लिए कूच कर गए। दोपहर 12 बजे पुलिस ने मनीष को बरामद करने के साथ शिवेंद्र कुमार चौबे, संजी कुमार सिंह (पूर्वी पटेल नंबर, रोड नंबर चार, मकान संख्या 31), कमल कुमार पांडेय, अर्जुन कुमार उर्फ सन्नी और सृजन कुमार गुप्त को गिरफ्तार किया। वहीं, एक अन्य आरोपित भागने में सफल हो गया।

सोचा था, गरीब होगा तो छोड़ देंगे :

युवराज और उसके दोस्तों ने रुपयों की किल्लत दूर करने के लिए अपहरण करने का निर्णय लिया था। हालांकि, उन्होंने किसी को न तो टारगेट किया था और न ही फिरौती की रकम तय थी। साजिश थी कि जो आसानी से उठ जाए, उसे कुछ दिन रखा जाएगा ताकि पुलिस क्या करती है, ये पता चल जाए। फिरौती मिल सकती है तो ही मांगी जाएगी। गरीब हुआ तो उसे छोड़ दिया जाएगा। इसे इरादे से सात जनवरी को युवराज ने किराये पर कार ली और दोस्तों के साथ घूमता रहा। मनीष को मोतिहारी पहुंचाने के बाद 10 जनवरी को उन्होंने कार लौटा दी थी।

ढाबे के बाहर से हुआ था अपहरण :

गुरुवार को पाटलिपुत्र इंडस्ट्रियल एरिया में गेट नंबर दो के पास स्थित ऑनलाइन सेंटर में जेईई मेन्स की परीक्षा देने के बाद मनीष रंजन दोस्त राघवेंद्र के साथ पॉलीटेक्निक चौराहे के पास एक ढाबे में खाने गया। वहां से निकलते ही लाल रंग की कार सवार चार युवकों ने उनके साथ मारपीट की , फिर मनीष को गाड़ी में बिठा लिया। अपहरण की जानकारी मिलते ही मनीष के पिता बक्सर से पटना के लिए रवाना हो गए। इसी रात 11:05 बजे मनीष ने पिता को कॉल कर कहा कि वह ट्रेन से आरा जा रहा है, फिर फोन कट गया। मनीष का मोबाइल भी राघवेंद्र के पास ही था। इसके बाद पाटलिपुत्र थाने में अपहरण की प्राथमिकी दर्ज की गई।