पुण्यतिथि पर याद किये गए शास्त्री जी

PATNA: उनका कद छोटा था, लेकिन उस छोटे कद में एक विशाल व्यक्तित्व का अस्तित्व था, जिससे तेज का एक ऐसा प्रकाश-पुंज प्रवाहित होता था, जो उस व्यक्तित्व के समक्ष उपस्थित हर व्यक्ति को अंतत: प्रभावित करता था। वह सच्चे अथरें मे देश का लाल था, जिसे दुनिया लाल बहादुर शास्त्री के रूप में जानती है। वे भारत के द्वितीय किंतु अद्वितीय प्रधान मंत्री थे। लोग आज भी उनकी इमानदारी, देश-भक्ति और कर्तव्य-निष्ठा की कसम खाते हैं। आज के सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता उनके बताये मार्ग पर एक-दो कदम भी चले तो यह देश दुनिया का आदर्श बन जाए। ये कहा शास्त्री नगर स्थित 'शास्त्री उद्यान' में, लाल बहादुर शास्त्री स्मृति समिति के तत्वावधान में आयोजित स्मृति समारोह में संस्था के संरक्षक और हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने। डा सुलभ ने कहा कि शास्त्री जी देव-तुल्य व्यक्ति थे और उन्होंने यह जान लिया था कि भारत की शक्ति उसके किसानों और नवयुवकों मे है। इसलिए उन्होंने 'जय-जवान और जय-किसान' का नारा दिया था।

भ्रष्टाचार के गर्त में नहीं जाता देश

वरिष्ठ लेखक और बिहार के पूर्व प्रधान सचिव जियालाल आर्य ने शास्त्रीजी को श्रद्धापूर्वक याद करते हुए कहा कि उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र के लिये समर्पित रहा। उनके जीवन से जुड़े प्रसंग अत्यंत शिक्षाप्रद और उनका व्यक्तित्व आकर्षक था। हमें आज ऐसे नेताओं की बहुत याद आती है। यदि शास्त्रीजी जैसे लोग आज होते तो हमें ऐसे दिन नही देखने होते। भ्रष्टाचार के गर्त मे यह देश कभी नहीं जाता। समिति के अध्यक्ष डॉ हरिराज मिश्र की अध्यक्षता मे आयोजित इस पुण्योत्सव में आचार्य पांचु राम, विनोद विहारी तिवारी, संस्था के सचिव शिवजी प्रसाद, समाजसेवी हरि किशोर बाजपेयी, रामजी प्रसाद, ब्रह्मदेव ठाकुर तथा शैलेन्द्र सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। आरंभ मे उपस्थित विद्वानों ने शास्त्री जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा पुष्पांजलि की.मंच संचालन बलभद्र कल्याण तथा धन्यवाद ज्ञापन शिवजी प्रसाद ने किया।