-क्या हादसे के बाद जागेगा जिला प्रशासन

PATNA: पटना में जिस एरिया में भी जाएं पुरानी इमारतें दूर से ही नजर आती हैं, बरसात या आंधी-तूफान आने पर इससे दीवार और छज्जे गिरने के हादसे भी होते रहते हैं। लेकिन घटना से पहले की कोई पहल नहीं होती। पटना नगर निगम और भवन निर्माण विभाग के नाक के नीचे वर्षो से एक ऐसा मोहल्ला बसा है जो जर्जर भवनों से घिरा है। ये हाल है कंकड़बाग के एमआईजी कॉलोनी का। जहां पूरी कॉलोनी ही जर्जर भवन में बसी है, मकान में लोग रह रहे हैं लेकिन विभाग की ओर से मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। इस वजह से आने वाले बरसात में पुराने और जर्जर भवन में अनहोनी होने से पहले अलर्ट होने की जरूरत है। भविष्य में अनहोनी को लेकर न तो पटना नगर निगम ही गंभीर है और न ही जिला प्रशासन की ही किसी तरह की पहल हो रही है।

दहशत में होती है जान

पटना में बरसात में कई ऐसे भवन हैं जहां लोग दिन-रात इस डर में रहते हैं कि कहीं छत गिर न जाए। ऐसे हादसों से पटना जिला प्रशासन और बिहार सरकार सबक लेना नहीं चाह रही है। लोग जान हथेली पर रखकर रह रहे हैं।

पुराने भवन में जिंदगी बसर

पटना नगर निगम क्षेत्र में करीब 100 से भी अधिक ऐसे पुराने भवन हैं जिसे लेकर हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। ये भवन 4 से 5 दशक पहले बनाए गए थे। जिसकी समय-समय पर मरम्मत नहीं होने की वजह से स्थिति अधिक खतरनाक है।

सर्वे का दिया गया था निर्देश

ऐसे खतरनाक और जर्जर हो चुके कार्यालय, दुकान और आवासीय भवनों को चिन्हित करने का प्रयास नहीं हुआ। हालांकि पिछले वर्ष स्कूल की दीवार गिरने से हुए हादसे के बाद पटना नगर निगम ने सभी इलाकों में सर्वे कर मकानों को चिन्हित करने का निर्देश दिया था। लेकिन वह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

दो विभागों की टाल-मटोल

देखा जाय तो शहर में पुराने और जर्जर हो चुकी इमारतों की पहचान कर किसी हादसे से पहले उसे जमींदोज करने की जिम्मेदारी एक तरफ नगर निगम की है तो दूसरी ओर बिल्डिंग डिपार्टमेंट की। लेकिन दोनों विभाग एक-दूसरे पर टाल-मटोल की भूमिका में है। एक ओर पटना नगर निगम के अधिकारी ऐसे खतरनाक और जर्जर हो चुकी इमारतों पर किसी प्रकार की सूचना नहीं होने के नाम पर अपना पीछा छुड़ा रहे हैं तो दूसरी ओर बिल्डिंग डिपार्टमेंट के स्तर पर ऐसे जर्जर भवनों की सर्वे रिपोर्ट वर्षो में भी तैयार नहीं हो सकी है।

मरम्मत कर रहते लोग

पटना में आज से करीब 4 से 5 दशक पहले बने बहुमंजिला कई भवन जर्जर हो चुके हैं। इनकी मरम्मत के लिए कभी कोई कोशिश नहीं की गई। एक ओर ऐसे जर्जर भवनों की छत के नीचे दुकान और कार्यालय हैं। लोग खुद इसकी मरम्मत कर इसमें रहने को मजबूर हैं।

कौन रहता इन भवनों में

हाउसिंग बोर्ड के इन भवनों को स्ट्रीट वेंडर, सफाई कर्मी और ऐसे किराएदार रह रहे हैं जो ज्यादा पैसे खर्च नहीं कर सकते हैं। कंकड़बाग इलाके में ऐसे कई भवन है जिनकी स्थिति अच्छी नहीं है लेकिन लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर रह रहे हैं।

ये पूरा प्रोजेक्ट भवन निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है। नगर निगम इसमें कुछ नहीं कर सकता है। हादसे के बाद हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।

-सीता साहु, मेयर पटना