त्रैमासिकी साहित्य यात्रा के शिवपूजन सहाय विशेषांक का हुआ लोकार्पण

PATNA :

साहित्यिक पत्रिकाएं विचारों और भावों की अभिव्यक्ति की वाहिका ही नहीं होती, नवोदित साहित्यकारों के परिष्कार की पाठशाला भी होती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में इन पत्रिकाओं की आयु बहुत ही कम रही है। ऐसी पत्रिकाओं को आíथक संबल नही मिलता। ऐसे में साहित्यिक त्रैमासिक साहित्य-यात्रा की अविराम यात्रा, जो विगत वर्षो से जारी है, देखकर मन को परितोष और प्रसन्नता होती है। यह पत्रिका संपूर्ण भारत वर्ष में ख्याति और उपलब्धि प्राप्त कर रही है। इसके लिए पत्रिका के संपादक सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा कलानाथ मिश्र का कार्य स्तुत्य माना जाना चाहिए।

यह बातें बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, साहित्य -यात्रा के आचार्य शिवपूजन सहाय स्मृति विशेषांक का लोकार्पण करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कही। डॉ सुलभ ने कहा कि आचार्य शिवपूजन सहाय एक ऐसे साहित्यíष थे, जिन्होंने दधीचि की भांति हिन्दी के लिए अपनी अस्थियां ही नहीं मेद और मज्जा का भी दान कर दिया। वे संपादन-कला के अप्रतिम आदर्श थे।

डॉ सुलभ ने पत्रिका के संपादक डॉ कलानाथ मिश्र को सम्मेलन की ओर से आचार्य नलिन विलोचन शर्मा स्मृति सम्मान। से विभूषित किया। पत्रिका के संपादक डॉ कलानाथ मिश्र ने कहा कि, आज तकनीकी विकास के कारण प्रकाशन कार्य सरल हो गया है। हमारी चेष्टा है कि पत्रिका का स्वरूप राष्ट्रीय हो।

इस अवसर पर सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ शंकर प्रसाद वरिष्ठ पत्रकार और साहित्य-सेवी डॉ ध्रुव कुमार, कुमार अनुपम, कवि राज कुमार प्रेमी, डा अर्चना त्रिपाठी, डॉ ओम प्रकाश जमुआर, डॉ विनय कुमार विष्णुपुरी, चंदा मिश्र, पत्रिका के सहायक संपादक अमित कुमार मिश्र, जनार्दन पाटिल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।