रवियोग में महानवमी, हवन-कन्या पूजन के साथ नवरात्र का होगा समापन

PATNA :

शारदीय नवरात्र के सातवें दिन शुक्रवार को माता के उपासकों ने देवी कालरात्रि की पूजा विधि-विधान से कर माता का पट खोला। जयकारे, भजन-कीर्तन, स्तुति, प्रार्थना कर देवी का कपाट खोला गया। अनिष्ट कारकों से मुक्ति की प्रार्थना तथा गुड़ से निíमत प्रसाद माता को अर्पण किए।

सप्तमी पर राजधानी के अधिकांश देवी मंदिरों के पट खोल दिए गए। मंदिरों के पट खुलते ही देवी दर्शन को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस बार पूजा पंडाल नहीं लगने के कारण देवी मंदिरों में भीड़ केंद्रित हो गई है। मंदिरों में ही आकर लोग पूजा एवं दर्शन कर रहे हैं।

राजधानी के बड़ी और छोटी पटनदेवी के अलावा बांस घाट काली मंदिर सहित अधिकांश मंदिरों में लोग दर्शन के साथ साथ पूजन भी कर रहे हैं। ज्यादातर मंदिरों में सुबह 5:00 बजे माता की आरती के बाद मंदिर का पट श्रद्धालुओं के दर्शन के बाद खोल दिया गया। सुबह से लेकर 10:00 बजे तक मंदिर में पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। दरभंगा हाउस काली मंदिर में भी दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। यहां पर भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की।

नवरात्रि के आठवें दिन शनिवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में आदिशक्ति माता दुर्गा के अष्टम रूप में सर्वसिद्धि को देने वाली माता महागौरी की पूजा होगी। आचार्य राकेश झा ने बताया कि इस दिन देवी की श्रृंगार पूजा की जाएगी। इसमें माता को वस्त्र, श्रृंगार प्रसाधन, कमल पुष्प, अपराजिता फूल, इत्र आदि अíपत किया जाएगा। भोग में नारियल से निíमत मिष्ठान अर्पण होंगे।

महागौरी माता का अलौकिक स्वरूप

आचार्य झा ने बताया कि महागौरी माता दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी है। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। धाíमक मान्यता है कि अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन वृष है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।

पाप होते हैं नष्ट

शारदीय नवरात्र के अष्टम दिवस में देवी महागौरी की पूजा करने से सभी प्रकार पाप नष्ट हो जाते हैं जिससे मन और शरीर शुद्ध एवं पवित्र हो जाता है। देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है। जगत जननी के इस सौम्य रूप की पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा, एकाग्रता में वृद्धि होती है तथा सर्व कष्ट से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि माता सीता ने भगवान श्रीराम की प्राप्ति के लिए इसी देवी कि आराधना की थी। ज्योतिष शास्त्र में इनका संबंध शुक्र नामक ग्रह से माना गया है।

महागौरी देवी मंत्र

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा