रजनीश का छोटा बेटा कुणाल तीसरी क्लास में पढ़ता है। इस मासूम को अपने पिता के गुनाह के बारे में भी सही से पता तक नहीं है। कुणाल ने बताया कि पुलिस वालों ने चार डंडे मारे। कनपट्टी पर भी पिस्टल लगाकर पापा के बारे में पूछा। मेरा गला दबाया। एक पल के लिए तो मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊंगा.
मेरा क्या कसूर था?
आठवीं में पढऩे वाली अंबेदकर की बेटी सोनम बार-बार एक ही सवाल पूछ रही है कि पुलिस वालों ने मुझे क्यों पीटा? पहले कमरे से खींच कर हमें बाहर निकाला। फिर गालों पर थप्पड़ जड़ दिया। आखिर मैंनेï तो सृष्टि का खून नहीं किया था? पुलिसवालों की गंदी गालियां मुझे सुननी पड़ी।
बाल पकड़ आंगन में खींचा
वीरपुर के पुस्तैनी घर में अंबेदकर सिंह और रजनीश का परिवार ही रहता है.जबकि बड़े और मझले भाई पटना में। वारदात के बाद 25 जनवरी को भी पुलिस टीम वीरपुर के घर पर पहुंची थी। पहले दिन पुलिस का बर्ताव सही था। जब दूसरी बार 29 जनवरी की रात पुलिस वाले आए तो उनका पूरा बर्ताव ही बदला हुआ था। खास कर दो पुलिस वाले काफी अत्याचार कर रहे थे। अंबेदकर की वाइफ संगीता का आरोप है कि एक पुलिस वाले ने बाल पकड़ जबरन उन्हें खींचा और आंगन में लाया। रजनीश की भाभी होने के नाते हमें गंदी-गंदी गालियां दी। रजनीश की पत्नी किरण देवी का आरोप है कि बगैर महिला जवान पुलिस वालों ने हाथ पकड़ कर मुझे कमरे से बाहर निकाला। किरण के अनुसार सभी के सामने पुलिस वालों ने पीठ और पेट में कई डंडे मारे.
पेट में सटाया चाकू
सिद्धंात कुमार रजनीश के तीसरे नंबर के भाई अंबेदकर सिंह का बेटा है। राघोपुर के ही एक सरकारी स्कूल में सातवीं क्लास का स्टूडेंट है। सिद्घांत बताता है कि 29 जनवरी की रात दो पुलिस वालों ने मेरे साथ जो कुछ किया, उसका खौफनाक मंजर याद कर मैं आज भी सहम जाता हूं.मैं एक कमरे में सोया था.आधी रात को पुलिस वाले कब घर में घूसे पता नहीं। मुझे जबरन उठाया। दाहिने साइड कनपट्टी पर एक पुलिस वाले ने पिस्टल सटा दी। गाली-गलौज करते हुए चाचा रजनीश के बारे में पूछा। मनमाफिक जवाब नहीं मिलने पर थप्पड़ मारा। इससे भी मन नहीं भरा तो कोने में ले जाकर मेरे पेट में चाकू सटा दिया.
रजनीश का छोटा बेटा कुणाल तीसरी क्लास में पढ़ता है। इस मासूम को अपने पिता के गुनाह के बारे में भी सही से पता तक नहीं है। कुणाल ने बताया कि पुलिस वालों ने चार डंडे मारे। कनपट्टी पर भी पिस्टल लगाकर पापा के बारे में पूछा। मेरा गला दबाया। एक पल के लिए तो मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊंगा।
मेरा क्या कसूर था?
आठवीं में पढऩे वाली अंबेदकर की बेटी सोनम बार-बार एक ही सवाल पूछ रही है कि पुलिस वालों ने मुझे क्यों पीटा? पहले कमरे से खींच कर हमें बाहर निकाला। फिर गालों पर थप्पड़ जड़ दिया। आखिर मैंनेï तो सृष्टि का खून नहीं किया था? पुलिसवालों की गंदी गालियां मुझे सुननी पड़ी।
बाल पकड़ आंगन में खींचा
वीरपुर के पुस्तैनी घर में अंबेदकर सिंह और रजनीश का परिवार ही रहता है.जबकि बड़े और मझले भाई पटना में। वारदात के बाद 25 जनवरी को भी पुलिस टीम वीरपुर के घर पर पहुंची थी। पहले दिन पुलिस का बर्ताव सही था। जब दूसरी बार 29 जनवरी की रात पुलिस वाले आए तो उनका पूरा बर्ताव ही बदला हुआ था। खास कर दो पुलिस वाले काफी अत्याचार कर रहे थे। अंबेदकर की वाइफ संगीता का आरोप है कि एक पुलिस वाले ने बाल पकड़ जबरन उन्हें खींचा और आंगन में लाया। रजनीश की भाभी होने के नाते हमें गंदी-गंदी गालियां दी। रजनीश की पत्नी किरण देवी का आरोप है कि बगैर महिला जवान पुलिस वालों ने हाथ पकड़ कर मुझे कमरे से बाहर निकाला। किरण के अनुसार सभी के सामने पुलिस वालों ने पीठ और पेट में कई डंडे मारे।
पेट में सटाया चाकू
सिद्धंात कुमार रजनीश के तीसरे नंबर के भाई अंबेदकर सिंह का बेटा है। राघोपुर के ही एक सरकारी स्कूल में सातवीं क्लास का स्टूडेंट है। सिद्घांत बताता है कि 29 जनवरी की रात दो पुलिस वालों ने मेरे साथ जो कुछ किया, उसका खौफनाक मंजर याद कर मैं आज भी सहम जाता हूं.मैं एक कमरे में सोया था.आधी रात को पुलिस वाले कब घर में घूसे पता नहीं। मुझे जबरन उठाया। दाहिने साइड कनपट्टी पर एक पुलिस वाले ने पिस्टल सटा दी। गाली-गलौज करते हुए चाचा रजनीश के बारे में पूछा। मनमाफिक जवाब नहीं मिलने पर थप्पड़ मारा। इससे भी मन नहीं भरा तो कोने में ले जाकर मेरे पेट में चाकू सटा दिया।
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