- मकर संक्रांति पर गंगा सागर जाने के क्रम में गयाधाम पहुंच रहे पिंडदानी

- मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली व हरियाणा जैसे राज्यों से आए पिंडदानी

GAYA/PATNA: मोक्षधाम गया में पिंडदान के लिए आए पिंडदानियों को फल्गु नदी की रेत पर बैठकर पितरों के मोक्ष को लेकर कर्मकांड करना पड़ रहा है। साथ ही नदी के पवित्र जल से तर्पण कर रहे हैं। लघु पिंडदान मेले के आयोजन से इन दिनों विष्णुपद में चहल-पहल देखी जा रही है। प्रत्येक दिन यहां पिंडदानी अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए श्राद्धकर्म कर रहे हैं। इस समय वही पिंडदानी गया आते हैं, जो मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर गंगा सागर तीर्थ स्नान के लिए जाते हैं। ये भोली अमावस्या पर गुरुवार को फल्गु तट पर कर्मकांड करते दिखे। देवघाट पर फल्गु नदी की रेत पर बैठकर पुरोहित के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ वे श्राद्धकर्म कर रहे थे। नदी में पानी की मात्रा काफी कम रहने के कारण पिंडदानियों को बालू हटाकर पानी निकालना पड़ा।

खरमास में पिंडदान का विशेष महत्व

मध्य प्रदेश के जबलपुर से आए पिंडदानी अशोक चौहान व गोविंद राम और ओडिशा के पुरी से आए दीपक दास आदि ने कहा कि यहां आकर काफी शांति मिल रही है पर फल्गु नदी में पानी की मात्रा काफी कम हो जाने से गयाधाम की पहचान खतरे में पड़ती दिख रही है। उन्होंने कहा, पितृमोक्ष के लिए विष्णुपद में भगवान श्रीहरि विष्णु का पवित्र चरण चिन्ह और फल्गु का जल पुराणों में वर्णित है। सनातन धर्म में गयाजी तीर्थ का काफी महत्व है। गयापाल पुरोहित महेश लाल गुप्त बताते हैं कि लघु पिंडदान मेला प्रारंभ हो गया है। मेला दिसंबर 20 जनवरी तक चलेगा। खरमास में पिंडदान का काफी महत्व है। लघु पिंडदान मेले में पिंडदानी एक से तीन दिन का श्रद्धाकर्म करते हैं। दरअसल, इस समय वही पिंडदानी गया आते हैं, जिन्हें तीर्थ के लिए गंगासागर जाना होता है। मेले का छोटा स्वरूप होने के कारण इसे लघु पिंडदान मेला कहा जाता है।