- बिना एनओसी के ही लग गए 600 से अधिक मोबाइल टावर

- नगर निगम अब करेगा एजेंसी से वसूली

PATNA :

पटना में मोबाइल नेटवर्क के लिए टावर की संख्या दोगुनी तेजी से बढ़ गई है। ये मोबाइल टावर बिना एनओसी लिए ही नगर निगम के नाक के नीचे बढ़ते चले गए और नगर निगम ने इसकी सुध तक नहीं ली। बता दें कि शहर में अभी नियमों को ताक पर रखकर करीब 600 अवैध मोबाइल टावर लगाए गए हैं। न तो इन्होंने नगर निगम से इसके लिए अनुमति ली है न ही कोई शुल्क जमा किया है। यहां तक कि नियमों का भी पालन नहीं करते हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अब जाकर नगर निगम ने इन टावर के जाल पर शिकंजा कसने की तैयारी की है।

बोर्ड में पास हुआ अधिनियम, विभाग को भेजी जाएगी रिपोर्ट

नगर निगम की बोर्ड की बैठक में संचार अधिनियम को पास किया गया है। ऐसे में सभी के टैक्स दर में बढ़ोतरी की जाएगी। बता दें कि अवैध मोबाइल टावर का खुलासा नगर निगम की रिपोर्ट में हुआ है। निगम ने जब ऐसे मोबाइल टावरों की तलाश की जिन्होंने अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया है, तब यह अवैध टावर सामने आए। फर्जी तरीके से लगाए गए इन टावरों में नियमों का पालन नहीं किया गया है। निगम अब इन्हें नोटिस भेजने की तैयारी में है।

क्या है टावर लगाने का नियम

मोबाइल टॉवर की निगरानी की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है। जब तक निगम अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं देता है, तब तक कोई भी मोबाइल टावर शहर में नहीं लगाया जा सकता। निगम अनुमति देने से पहले अपने विशेषज्ञ का एक दल भेजता है, जो इमारत की मजबूती और क्षेत्र का मुआयना करता है। क्षेत्र रहवासी न हो, पास में स्कूल-अस्पताल न हों, इनका ध्यान रखा जाता है। लेकिन शहर में 600 टावर ऐसे हैं जो इन नियमों के विरुद्ध चल रहे हैं। हालांकि बचने के लिए एजेंसियां मासिक शुल्क भी जमा कर रही हैं।

कैसे मिलती है अनुमति

मोबाइल टावर लगाने के लिए 2015 तक नगर निगम मुख्यालय से मोबाइल टावर की अनुमति दी जाती थी। इसके बाद यह जिम्मेदारी अंचल को दे दी गई, लेकिन मुख्यालय ने टावरों की सूची नहीं दी। अंचलों ने भी टावरों की स्थापना और उनके संचालन की निगरानी नहीं की। हाल में जब एनओसी की जांच की तो पता चला कि 90 फीसदी से अधिक टावर अवैध तरीके से चल रहे हैं।

हो सकती है कार्रवाई

- मकान मालिक पर एफआईआर और नक्शा रद करने की कार्रवाई

- टावर एजेंसी पर केस और उपकरण की जब्ती भी हो सकती है

- एजेंसी पर 5 हजार जुर्माना भी लगेगा

इन इलाकों में बिना अनुमति टावर

कंकड़बाग अंचल- 120

बांकीपुर अंचल- 238

नूतन राजधानी अंचल- 117

पटना सिटी अंचल- 120

अजीमाबाद अंचल- 95

पाटलिपुत्र अंचल- 07

देना होगा इतना टैक्स

प्रशासनिक शुल्क - 100

रजिस्ट्रेशन शुल्क - 50 हजार

वार्षिक शुल्क - 20 हजार

एक्स्ट्रा एंटिना चार्ज- रजिस्ट्रेशन का 60 प्रतिशत

खतरनाक होता है मोबाइल रेडिएशन

मोबाइल टावर के लिए कई नियम बनाए गए हैं। इसमें भवन मालिक से अनुमति से लेकर नक्शे तक का प्रावधान है। इसमें यह भी नियम है कि टावर विद्यालय, महाविद्यालय, अस्पताल के 100 मीटर की परिधि में नहीं होगा। पटना में इन नियमों का पालन ही नहीं हो रहा है। ये मोबाइल टावर हर जगह मौजूद है जिससे न सिर्फ लोगों में स्वास्थ्य संबंधित शिकायतें हो रही बल्कि इनकी रेडिएशन पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है।

होती है ये बिमारियां

- रक्त संचार की बीमारी

- मानसिक बीमारी

- गर्भवती महिला और शिशु पर दुष्प्रभाव

- चिड़चिड़ापन, एकाकीपन और मनुष्य में गुस्सा आने की प्रवृत्ति

- पशु-पक्षियों से लेकर पर्यावरण को नुकसान

- याददाश्त खत्म होने की समस्या

- कैंसर भी हो सकता है

बोर्ड में नियम पास हो गया है। नियम नहीं मानने वाले एजेंसी पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उनको शुल्क देना होगा।

- अमित कुमार पांडेय, नगर आयुक्त, पटना नगर निगम