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PATNA : सेंट्रल काउंसिल फॉर इंडियन मेडिसिन(सीसीआईएम) अब प्रोफेसरों को यूनिक नम्बर जारी करेगा। इससे न केवल प्रोफेसरों के अटेंडेंस पर नजर रखेगा, बल्कि उनकी मॉनेटरिंग भी कर सकेगा। यूनिक कोर्ड के लिए प्रोफेसरों को रिक्वेस्ट भेजना होगा। इसके बाद ही सीसीआईएम जारी कर सकेगा। पिछले दिनों सीसीआईएम ने देशभर के आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध पद्धति पढ़ाये जाने वाले कॉलेज प्रबंधन को पत्र भेजा दिया है। यह नम्बर सभी प्रोफेसरों को लेना अनिवार्य है। अगर किसी कॉलेज में बिना नम्बर लिए प्रोफेसर पढ़ाई करवा रहा है तो उनको नए सत्र की मान्यता में दिक्कत हो सकती है। वहीं, कॉलेजों में बायोमेट्रिक्स मशीन से अटेंडेंश लगाना होगा।

ऐसे करना होगा अप्लाई

सीसीआईएम से यूनिक नम्बर लेने के लिए प्रोफेसरों को ऑनलाइन रिक्वेस्ट भेजना होगा। इसके लिए सीसीआईएम की वेबसाइट पर जानी होगी। वहां यूनिक नम्बर लिंक पर क्लिक करना होगा। इसके बाद एक पेज खुलेगा। उसको भरना होगा। इसके बाद सीसीआईएम यूनिक नम्बर अलॉट करेगा।

एक प्रोफेसर पढ़ाते कई जगह

जानकारों का कहना है कि कॉलेज की मान्यता के दौरान प्रोफेसरों को लेकर मारामारी रहती थी। डिपार्टमेंट में प्रोफेसरों की कमी होने पर मान्यता पर संकट मंडराता था। एक प्रोफेसर कई कॉलेजों में जाकर पढ़ाता था। इस गड़बड़ी को यूनिक नम्बर से रोका जाएगा।

नियोजन प्रक्रिया की होगी समीक्षा

माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए शिक्षक नियोजन के पांचवे चरण की प्रकिया जारी है। अब शिक्षा विभाग इसमें नियोजन प्रक्रिया की समीक्षा का निर्णय लिया है। फ् फरवरी के बाद समीक्षा कर यह जानने की कोशिश होगी कि नियोजन प्रक्रिया शिड्यूल के अनुसार हो रही है या नहीं। हाल ही में विभाग को यह सूचना मिली थी कि शिक्षक नियोजन प्रक्रिया पूरी करने में कई जिले पीछे है जिसमें पटना भी है। जिलों का तर्क है कि समय समय पर पड़ने वाले त्यौहारों की वजह से प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी। अब जबकि जिलों में प्रमंडलवार नियोजन पत्र बांटने की डेट नजदीक है। यह जानकारी मिलने के बाद विभाग ने पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करने का निर्णय लिया है।

आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध पद्धति की पढ़ाई कराने वाले प्रोफेसरों को सीसीआईएम एक यूनिक कॉर्ड नम्बर जारी करेगा। इस नम्बर से प्रोफेसरों की मॉनेटरिंग की जाएगी।

- डॉ। मंतोष कुमार झा, सदस्य, सीसीआईएम

प्राइवेट कॉलेज में निरीक्षण के दौरान प्रोफेसरों की संख्या में बड़ी मात्रा में गोलमाल कर मान्यता ले लेते हैं। लेकिन बाद में छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रोफेसर तक नहीं मिल पाते हैं। यूनिक नम्बर मिलता है तो इस गड़बड़ी को रोक सकते हैं।

- डॉ। राकेश पांडेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आयुष मेडिकल एसोसिएशन