पटना (ब्यूरो)। बिहार के इकलौते मेंटल हॉस्पिटल में रोजाना करीब 200-250 मरीज इलाज करने पहुँचते हैं। जिनमें से 15 से 20 मरीज पटना से इलाज कराने कोईलवर स्थित मेंटल हॉस्पिटल पहुँचते हैं। प्रदेश के इकलौते मेंटल हॉस्पिटल में मरीजों की मिलने वाली सुविधाओं की बात करें तो फिलहाल इस मेंटल हॉस्पिटल में मरीजों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है। मेंटल हॉस्पिटल के ओपीडी में दूर- दराज से इलाज कराने आए मरीजों को इस भीषण गर्मी में पीने का साफ पानी मुहैया नहीं हो पा रही है । इस अस्पताल में बिहार के साथ- साथ उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से भी मरीज यहां इलाज कराने आते हैं। मरीजों के पंजीकरण पर गौर करें तो इंडोर और आउटडोर में मरीजों की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है, लेकिन मरीजों को अस्पताल में सुविधाएं नही मिल पा रही है।
कोरोना ने किया प्रभावित
कोरोना संक्रमण ने लोगों के आम जनजीवन को काफी प्रभावित किया। मेंटल हॉस्पिटल में इन दिनों डिप्रेशन के शिकार हुए कई मरीज पहुँच रहे हैं उनमें से ज्यादातर लोगों को नींद की समस्या और नौकरी जाने से चिंतित होने वालों की संख्या ज्यादा है । डिप्रेशन के शिकार पंकज कुमार ने कहा कि कोरोना के दौरान घर में रहते हुए बीबी से लड़ाई होती रहती थी.जिससे मैं आपकी परेशान रहता था अब हालात ऐसी हो गई है कि नींद गायब हो गई है। वहीं, मो.आसिफ ने कहा कि कोरोना काल में मेरी प्राइवेट नौकरी चली जिससे मेरे सामने रोजी रोटी की समस्या आने लगी जिससे मैं परेशान रहने लगा.जानकारी के अनुसार मेंटल हॉस्पिटल कोइलवर में डायरेक्टर के पद पर तैनात वीर कुंवर सिंह जो मेंटल के डायरेक्टर इन चीफ हैं उनके अलावे कई डॉक्टर यहां प्रतिनियुक्ति पर हैं।
प्रदेश का इकलौते मानसिक अस्पताल

2005 में बिहार के भोजपुर जिला के कोईलवर में प्रदेश का इकलौते मानसिक अस्पताल बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान की नींव रखी गई, लेकिन एक दशक से ज्यादा होने के बाद भी प्रदेश के इकलौते मानसिक आरोग्यशाला का हाल बेहाल है.रोजाना 200-250 मरीज ओपीडी में इलाज कराने आते हैं। जहां पुरुष वार्ड में 42 मरीज भर्ती है जबकि महिला वार्ड में 32 मरीज भर्ती हैं हालांकि महिला मरीजों को देखने के लिए 19 वार्ड अटेंडेंट मौजूद हैं लेकिन पुरुष मरीजों को देखने वाला अस्पताल में कोई नहीं है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बिहार के इकलौता मानसिक आरोग्यशाला होने के बाद भी सप्ताह में 2 दिन मंगलवार और गुरुवार की रात्रि में कोई भी डॉक्टर मरीजों की देखभाल के लिए रात में अस्पताल में मौजूद नहीं रहता है। यहांं स्टाफ की भी काफी कमी है । रजिस्ट्रेशन काउंटर व दवा वितरण केन्द्र पर कोई कर्मी
नहीं रहने की वजह से मरीजों को परेशानी होती है । वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो बिहार के इस इकलौते मेंटल हॉस्पिटल में मरीजों के लिए एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं है। इस संबंध में अस्पताल के सुपरिटेंडेंट केपी शर्मा ने बताया कि मानसिक आरोग्यशाला कोइलवर में कुल 11 डॉक्टर हैं जिनमें से 6 की यहां नियुक्ति है जबकि बाकी लोग प्रतिनियुक्ति पर हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ ही दिनों में अस्पताल में बहुत कुछ बदलाव होने वाला है अस्पताल का अपना भवन बनकर तैयार होने वाला है जिससे लोगों को ज्यादा सुविधा मिलेगी।