- एएन कॉलेज पटना में उच्च शिक्षा की चुनौतियां विषय पर लेक्चर सीरीज आयोजित

PATNA: देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में कॉलेजों में ग्रॉस एडमिशन रिसीव महज 142 प्रतिशत है जो कि बहुत कम है इसका एक अर्थ यह भी है कि 18 से 33 वर्ष के आयु वर्ग के लोग उच्च शिक्षा से वंचित है। यही वजह है कि बेहतर विकास दर प्राप्त करने के लिए ग्रॉस एडमिशन रेशियो कम से कम 50 परसेंट तक बढ़ाने की दरकार है। यह बातें पटना यूनिवíसटी के पूर्व वाइस चांसलर एवं शिक्षाविद प्रोफेसर रासबिहारी प्रसाद सिंह ने एन कॉलेज पटना में एसएन सिंहा मेमोरियल लेक्चर के दौरान और प्रमुख वक्ता के तौर पर कहीं। इसके 15 वे लेक्चर सीरीज के अंतर्गत सोमवार को आयोजित लेक्चर का विषय “21 वी शताब्दी में भारत के समक्ष उच्च शिक्षा की चुनौतियां: बिहार के विशेष संदर्भ में“ रहा। मुख्य वक्ता ने शिक्षा के महत्व पर अमेरिका के महान समाज शास्त्री कार्ल.सी.जिमरमैन को कोट करते हुए कहा कि शिक्षित समाज बेहतर समझ की भावना रखता है। बेहतर बुद्धि और समझ रखने वाले लोग विश्व के सबसे बड़े संसाधन हैं। इन संसाधनों को विकसित करने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। किसी भी देश का विकास वहां की शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करता है। जनसांख्यिकीय विभाजन पर चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि भारत की अधिकतम आबादी युवा है। इस नाते हम सभी को अभी से सचेत रहते हुए उच्च शिक्षा के लक्ष्य को पूरा करना चाहिए।

बढ़ाने होंगे विश्वविद्यालय

प्रोफ़ेसर रासबिहारी प्रसाद सिंह ने आगे कहा कि उच्च शिक्षा के लिए मौजूदा संस्थान नाकाफी हैं। जब हम बात करते हैं कॉलेज लेवल पर सभी युवाओं को नामांकन सुनिश्चित करने का तो वर्तमान कॉलेजों की संख्या ही बहुत कम है। ऐसे में नामांकन बढ़ाने के लिए सरकार को संस्थानों और विश्वविद्यालयों की संख्या भी बढ़ानी होगी। उच्च शिक्षा पर माधव मेनन कमेटी ने कहा है कि हर जिले में एक विश्वविद्यालय स्थापित होना चाहिए। अभी फिलहाल 21 विश्वविद्यालय हैं इसका अर्थ है कि हमें तत्काल 17 से 20 और विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है।

तीन प्रमुख सुझाव रखे

ऑनलाइन लेक्चर के दौरान प्रोफेसर रासबिहारी प्रसाद सिंह ने विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों क्वालिटी इंप्रूवमेंट पर जोर दिया। उन्होंने यूजी और पीजी लेवल पर सीबीसीएस सिस्टम लागू करने के फायदे गिनाए .उन्होंने कहा कि इससे स्टूडेंट इंटर डिसिप्लिन सब्जेक्ट का अप्रोच आप रोज डेवलप कर पाते हैं। उन्होंने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में तीन महत्वपूर्ण विषय को समाहित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सामाजिक जिम्मेदारी से संबंधित पाठ्यक्रम जैसे कि एनसीसी और एनएसएस आदि विषय अनिवार्य बनाए जाने चाहिए। दूसरे सुझाव में मुख्य वक्ता ने वातावरण, स्वास्थ्य , स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्गित पाठ्यक्रम को अनिवार्य करने की आवश्यकता बताई। तीसरे सुझाव में उन्होंने सभी विद्याíथयों को माता, मातृभूमि तथा मातृभाषा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्गित पाठ्यक्रम चलाने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा में स्पष्ट दृष्टि का अभाव एक महत्वपूर्ण चुनौती है। विभिन्न राज्य और केंद्र की नीति शिक्षक नियुक्ति, कुलपति की नियुक्ति, सेवानिवृत्ति वर्ष अलग-अलग है।

शिक्षा खर्च बढ़ाने की बात

स्वागत भाषण में कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एसपी शाही ने कहा की एएन कॉलेज लगातार प्रगति पथ पर अग्रसर है। वर्तमान में महामारी की गंभीरता को समझते हुए कॉलेज ने आइक्यूएसी के सुझावों के परिपेक्ष्य में 21 मार्च से ही ई-कंटेंट के द्वारा पढ़ाई शुरू कर दी थी। कॉलेज के आइक्यूएसी के प्रयासों से हाल ही में इसरो तथा कोर्स एरा से कोलैबोरेशन हुआ है ,जिसका लाभ विद्याíथयों को मिलेगा। विषय प्रवेश करते हुए एस। एन। सिन्हा मेमोरियल लेक्चर के संयोजक प्रोफेसर कलानाथ मिश्र ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा पर जीडीपी का सिर्फ 3 फ़ीसदी ही खर्च किया जा रहा है जो अन्य विकासशील देशों की अपेक्षा अत्यंत कम है। प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि आभासी वर्ग पारंपरिक वर्ग का प्रतिस्थापन नहीं हो सकता परंतु वर्तमान समय में हमें डिजिटल लìनग पर केंद्गित करना चाहिए जिससे विद्याíथयों को लाभ मिल सके। कार्यक्रम का संचालन एसएन सिंहा मेमोरियल लेक्चर की सह- संयोजक डॉ रत्ना अमृत ने किया।