-नालंदा विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में दो को गोल्ड

-12 को मिला सम्मान, तीन छात्रों ने बीच में छोड़ दी पढ़ाई

PATNA/BIHARSHARIFF: शनिवार को नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी शामिल हुए। महामहिम ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को भूगोल की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। नागासाकी, हिरोशिमा और वेविलोन की तरह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भी विध्वंस कर दिया गया था। लेकिन आज नालंदा विश्वविद्यालय फिर से विश्व को ज्ञान बांटने के लिए तैयार है। इसके प्रथम सत्र के छात्र डिग्री लेकर विश्व के देशों में ज्ञान बांटने को तैयार है।

एक सपना सच होने जैसा

प्रथम दीक्षांत समारोह में राज्यपाल रामनाथ को¨वद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जार्ज यो, संस्थापक कुलाधिपति डॉ। अम‌र्त्य सेन, कुलपति डॉ। गोपा सभरवाल, लार्ड मेधनाद देसाई, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, नेता विरोधी दल डॉ। प्रेम कुमार समेत कई मंत्री उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने कहा कि मेरे लिए नालंदा विश्वविद्यालय का यह पहला दीक्षांत समारोह एक सपना सच होने जैसा है। जब मैं विदेश मंत्री था तभी नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से आरंभ करने का इस्ट एशिया समिट में प्रस्ताव आया था जिसका सदस्य देशों ने उत्साह से स्वागत किया। इसकी स्थापना में बिहार सरकार की अहम भूमिका रही है।

चार सभ्यताओं का संगम

महामहिम ने कहा कि नालंदा विवि चार सभ्यताओं- भारतीय, ग्रीक, परशियन और चाइनीज का संगम रहा है। हम विभिन्न सभ्यताओं के संगम में विश्वास करते आये हैं। मैं चाहता हूं कि आधुनिक भारत में भी ऐसा ही माहौल बने। छात्र-छात्राओं से कहना चाहता हूं कि वे एक नई दुनिया का सामना करने जा रहे हैं। यहां उन्हें प्राप्त हुई शिक्षा उन्हें हर चुनौतियों का मुकाबला करने में मदद करेगी। मुझे इस बात की खुशी है कि नालंदा विवि के भवन निर्माण और अन्य गतिविधियों को विदेश सचिव खुद देख रहे हैं। इससे पहले राष्ट्रपति ने नालंदा विवि के नए भवन का शिलान्यास किया।

नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि अब विक्रमशीला, उदंतपुरी विवि को भी दुबारा शुरू कराने की पहल करें। नालंदा से करीब फ्भ् किमी दूर तेल्हाड़ा में भी प्राचीन विवि के अवशेष मिले हैं। जिसे फिर से जीवित करने का प्रयास करें। राज्यपाल रामनाथ को¨वद ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है जब आठ सौ वर्ष के बाद नालंदा विवि एक बार फिर से जीवित हुआ है। स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्ट्डीज में हरियाणा की शशि अहलावत व स्कूल आफ इकोलोजी एंड इंवायरमेंट में कोलकता की सना सलाह को गोल्ड मिला।