PATNA : हिंदी साहित्यकार, आलोचक, प्राध्यापक एवं बहुभाषा ज्ञाता नलिन विलोचन शर्मा में सच बोलने की अदम्य साहस और रचनाशीलता को पहचानने की अद्भुत क्षमता थी। यदि वे न होते तो मैला आंचल सहित अन्य ऐसे कई साहित्यिक कृतियों की पहचान समय पर नहीं हो पाती। उक्त बातें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एवं साहित्य आलोचक मैनेजर पांडे ने कहा। यह मौका था पटना कालेज के हिंदी विभाग में नलिन विलोचन शर्मा की जन्मशती कार्यक्रम का। बतौर चीफ गेस्ट उन्होंने कहा कि हम उनके जन्म की क्00वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है।

बहुआयामी थे नलिन

कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए हिंदी पीजी डिपार्टमेंट के हेड प्रो। मटुकनाथ चौधरी ने कहा कि नलिन विलोचन शर्मा को याद करने की कोई एक वजह नहीं है। वे एक साथ कई आयामों में चर्चा करने योग्य व्यक्तित्व है। वे हिंदी साहित्य सम्मलेन में प्रधानमंत्री रहे, पटना यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक और आलोचना को एक नई गति दी। उन्होंने बताया कि यह दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम है। शनिवार को उनकी आलोचनात्मक शैली पर चर्चा की जाएगी। इस अवसर पर कवि आलोक ध्नवा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।