- डिसेबल बच्चों को मेन स्ट्रीम के बच्चों के साथ लाने की एक कोशिश

- सीबीएसई देशभर में करवा रही है सर्वे, एक्सप‌र्ट्स से भी ली जा रही है राय

PATNA : डिसेबिलिटी के कई टाइप्स होते हैं। हर डिसेबल बच्चों की समस्या व उनकी जरूरत भी अलग-अलग होती है। डिसेबल स्टूडेंट्स को मेन स्ट्रीम में लाया जाए, इसकी कोशिश सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन की ओर से लंबे समय की जा रही है। सीबीएसई की ओर से इस दिशा में कई कदम भी उठाए गए हैं। इसी क्रम में बोर्ड ने सभी स्कूलों से डिसेबल स्टूडेंट्स की पूरी डिटेल मांगी है, साथ ही बोर्ड स्कूलों में सर्वे कराने की योजना भी बना रही है। स्कूलों को पूरी डिटेल बोर्ड की वेबसाइट पर अपडेट करनी है।

डिसेबल स्टूडेंट्स के लिए बनेगी पॉलिसी

सीबीएसई डिसेबल बच्चों को मेन स्ट्रीम में और सामान्य बच्चों के समकक्ष खड़ा करने के लिए नई पॉलिसी बनाने पर विचार कर रही है। बोर्ड की ओर से लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि डिसेबल बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह बेहतर व क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन मिल सके। सीबीएसई इसको लेकर पूरे देश में सर्वे भी करा रही है और बोर्ड की ओर से डिसेबिलिटी के क्षेत्र में काम कर रहे एक्सपर्ट से भी राय ली जा रही है।

नौ कैटेगेरी में दी जानी है रिपोर्ट

बोर्ड ने स्कूलों से डिसेबिलिटी के कुल नौ कैटेगरी में रिपोर्ट मांगी है। बोर्ड का मानना है कि जो फिजिकली डिसेबल बच्चे हैं, वे तो स्कूल तक आ जाते हैं, पर अन्य प्रकार की डिसेबिलिटी से ग्रसित बच्चे तो न स्कूल आ पाते हैं और न हीं उनका प्रोपर ग्रोथ हो पाता है, इसलिए बोर्ड ने सभी स्कूलों से डिसेबल बच्चों के कुल नौ कैटेगरी में रिर्पोट मांगी है। इस कैटेगरी में आते हैं कम सुनाई देना, कम दिखाई देना, मानसिक रूप से कमजोर, ऑर्थोपेडिक परेशानी, नजर न आना, रंगों की पहचान न कर पाना, शारीरिक अक्षमता आदि शामिल हैं।

कैसी सुविधा देते हैं आप

अब स्कूलों को बताना होगा कि वे डिसेबल बच्चों को कैसी और कौन कौन सी सुविधा देते हैं। यह बताना होगा कि डिसेबल बच्चों को एडमिशन के समय उम्र में छूट दी गयी थी कि नहीं। फी में ऐसे बच्चों को छूट मिल रही है या नहीं। ऐसे बच्चों के ट्रैवल के लिए स्कूल ने क्या अरेजमेंट किए हैं, स्कूल में लिफ्ट या रैंप है या नहीं। डिसेबल फ्रेंडली शौचालय है या नहीं, साथ ही स्कूलों को यह भी बताना होगा कि वे ऐसे बच्चों की पढ़ाई कैसे करवाते हैं। उनके लिए अलग क्लास रूम की व्यवस्था है कि नहंी है। ऐसे बच्चों के लिए अलग से टीचर हैं या नहीं। अगर हैं, तो ऐसे टीचर को समय समय पर ट्रेनिंग देने की कौन सा तरीका अपनाया जाता है।

डिसेबल बच्चों के लिए अलग से पॉलिसी बन रही है। इस साल के अंत तक ये पॉलिसी बनकर आ जाएगी। ऐसे बच्चों के ग्रोथ को सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड ने ये स्टेप उठाए हैं। इसी के तहत सभी स्कूलों से डिटेल मांगी जा रही है।

- डॉ। सीबी सिंह, सेक्रेटरी, पाटलिपुत्र सहोदया