क्कन्ञ्जहृन् : केन्द्रीय वित मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए जीएसटी कौंसिल की 24वीं बैठक में माल ढुलाई को लेकर अहम बिंदुओं पर मंथन हुआ। जिसमें 50 हजार रुपए से अधिक माल के अन्तर राज्यीय परिवहन (ढ्ढठ्ठह्लद्गह्म स्ह्लड्डह्लद्ग) और राज्य के भीतर 2 लाख रुपए मूल्य से अधिक के माल पर ई-वे बिल (श्व-ङ्खड्ड4 क्चद्बद्यद्य ) पहली फरवरी से अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। बंगलुरू पहुंचे जीएसटीएन के अध्यक्ष और उपमु2यमंत्री सुशील मोदी ने 5ाी अपनी राय दी है।

अप्रैल से होने थी व्यवस्था

डिप्टी सीएम सुशील मोदी का कहना है कि पहले यह व्यवस्था 1 अप्रैल से लागू होने वाली थी। बिहार में पहले से लागू 'सुविधा' का ई-वे बिल की व्यवस्था से सरलीकरण हो गया है। 'सुविधा' के अन्तर्गत परिवहन

परमिट के लिए पहले जहां फार्म में 26 फिल्ड भरने होते थे वहीं अब मात्र 8 फिल्ड ही भरना होगा। निबंधित कारोबारी और परिवहनकर्ता क6प्यूटर के अलावा मोबाइल एप्पलिकेशंस के जरिए भी आसानी से ई-वे बिल जेनरेट कर सकेंगे। वहीं, राज्य के अंदर 10 किमी की दूरी तक माल परिवहन के लिए ई-वे बिल जरूरी नहीं है।

चेकपोस्ट की व्यवस्था 2ात्म

डिप्टी सीएम ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद पूरे देश में चेकपोस्ट की व्यवस्था समाप्त कर दी गई जिसके कारण बड़ी मात्रा में बगैर कर प्रतिवेदित मालों की आवाजाही से राज्यों को काफी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। इस साल जुलाई से अ1टूबर के बीच पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में बिहार में करीब 10 हजार करोड़ के कम माल का परिवहन दर्शाया गया है। चेक पोस्ट हटाने और बगैर वैध परमिट के परिवहन के कारण ही सित6बर की तुलना में अ1टूबर में जीएसटी के अन्तर्गत 10 हजार करोड़ का कम राजस्व प्राप्त हुआ। कर्नाटक में प्रयोग के तौर पर सित6बर से ही ई-वे बिल की व्यवस्था लागू कर दी गई थी।