सबसे अधिक इंफेक्शन ड्रिंकिंग वाटर से

डाक्टरों की मानें तो इन दिनों सबसे अधिक इंफेक्शन ड्रिंकिंग वाटर से फैल रहा है। इसका मेन कॉज है आपके घर तक पहुंचने के दौरान उसे एक बार भी अच्छी तरह से फिल्टर नहीं किया जाता है। अगर कहीं होता भी है तो फिर फटे पाइप की वजह से हर जगह बरसात का पानी सप्लाई वाटर में मिल जाता है। लिहाजा जमीन से निकलने वाला पानी आपके घर तक आते-आते 'प्वायजनÓ में तब्दील हो जाता है। वाटर बोर्ड के इंजीनियर भी मानते हैं कि पुराना होने के कारण पाइप ज्यादा डैमेज हो रहा है।

रिपेयरिंग की तो पूछें मत

उसकी रिपेयरिंग इस तरह होती है कि वह मानक पर फिट नहीं बैठती है। पहले जूट की रस्सी से लिकेज पाइप को रिपेयर किया जाता था। लेकिन, अब तो कूड़े-कचरे पर फेंके गए गंदे कपड़े से लीकेज पाइप की मरम्मती कर दी जाती है। कपड़े नहीं मिलते हैं, तो पानी को रोकने के लिए ईंट और पत्थर तक पाइप पर रख देते हैं। इस संबंध में मेयर अफजल इमाम ने बताया कि पाइप का रिपेयरिंग वर्क चल रहा है। जहां से भी कंप्लेन आती  है, उसे दूर कर दी जाती है।

इसे न करें इग्नोर वरना

*सप्लाई वाटर का यूज डायरेक्ट न करें।

* पानी को पहले उबाल लें, फिर ठंडा करके पीएं।

* पानी को पीने से पहले छान जरूर लें, ताकि गंदगी निकल जाए।

* घरों में फिल्टर का यूज अनिवार्य रूप से करें।

* फिल्टरेशन के बाद ही पानी का यूज किया जाना चाहिए।

तो फौरन करें कंप्लेन

अगर आपके आसपास सप्लाई वाटर का पाइप फटा है, तो फौरन इसकी सूचना जल पार्षद बोर्ड को दें। इससे पहले लीकेज स्पॉट को साफ पॉलीथिन से ढंक दें। साथ ही उस पर लगातार निगरानी रखें कि कहीं पॉलीथिन तो फटी हुई नहीं है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि उसके आसपास गंदगी न रहे।

बीमारी की चपेट में आ रहे ज्यादा बच्चे

यूं तो पानी में आने वाली गंदगी हर किसी की सेहत पर बुरा असर डालती है। लेकिन बच्चों के लिए यह जहर से कम नहीं है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। निगम प्रकाश नारायण की मानें तो यह पानी बच्चे को आसानी से डायरिया की चपेट में पहुंचा देता है। बरसात में स्कीन प्राब्लम का चांस भी अधिक बढ़ जाता है।