छ्वश्व॥न्हृन्क्चन्ष्ठ/क्कन्ञ्जहृन्: भीषण गर्मी से जहां लोग त्रस्त है। वहीं पशु-पक्षियों के लिए भी यह जानलेवा साबित हो रहा है। इलाके के सभी ताल-तलैयों सुख चुके हैं। ऐसे में पशु-पक्षियों के सामने पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। कई ऐसे पशु-पक्षी हैं जो मानव की आबादी से दूर रहना पसंद करते हैं। ऐसे में तालाब, पोखर और अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों में जमा पानी ही प्यास बुझाने का एकमात्र साधन होता है। हालात यह है कि दूर-दूर तक एक बूंद पानी तक नजर नहीं आ रहा है। अब इन पशु-पक्षियों के सामने अपने जीवन बचाने का संकट उत्पन्न हो गया है। विज्ञान और प्रगति के इस दौर में मनुष्य विकास के कई बड़े आयाम तय कर चुका है। ऐसे में प्राकृतिक संसाधनों से भी छेड़छाड़ की जाती रही है। जिसका कुप्रभाव ताल-तलैयों पर देखा जा रहा है। अब इस विकट समस्या पर मंथन कर हल ढूंढ़ने की जरूरत आ गई है।