पटना (ब्यूरो)। अब बिहार में प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी टीबी का फ्री इलाज और जांच किया जाएगा। सेंट्रल टीबी डिवीजन के निर्देश पर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने फैसला किया है। अब तक टीबी कंट्रोल के लिए प्रदेश स्तर पर केवल सरकारी अस्पतालों में ही इलाज और जांच की सुविधा मिल रही थी। प्राइवेट में इस सुविधा को दिये जाने से इसके इलाज को विस्तार मिलेगा। एक आंकड़े के मुताबिक कम से कम आबादी का दो प्रतिशत तक टीबी की बीमारी से ग्रसित है। इस फैसले से वैसे तमाम पेशेंट लाभान्वित होंगे जो केवल प्राइवेट में ही इसका इलाज चाहते थे और सरकारी अस्पतालों में नहीं जा रहे थे। उन्हें अब सरकार के फैसले से जांच और इलाज की सुविधा नि: शुल्क रूप से यहां मिलने लगेगी। स्वास्थ्य विभाग मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर) पेशेंट के उपचार को लेकर गंभीर है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने बताया कि नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत अब प्राइवेट सेक्टर द्वारा संचालित चयनित अस्पतालों में भी ड्रग रेजिस्टेंट (डीआर) सेंटर खोले जाएंगे। जहां पेशेंट को उपचार के लिए नि: शुल्क या सीमित खर्च में न सिर्फ दवा मिलेगा और इलाज भी किया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि प्रथम चरण में राज्य के कुछ प्रमुख निजी अस्पतालों से इस संबंध में बात हुई है। पेश है रिपोर्ट

प्राइवेट अस्पताल में सरकारी सुविधा
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में ड्रग रेजिस्टेंट टीबी पेशेंट का इलाज खर्चीला होता है। इस कारण लोगों को इलाज में परेशानी होती है। ऐसे में इन अस्पतालों में मुफ्त या सीमित खर्च पर इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इस सुविधा के शुरू होने के बाद ऐसे पेशेंट को तत्काल लाभ मिलने लगेगा जो पैसे के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहे हैं। जो प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराते हैं उनको बिना परेशानी के नि:शुल्क या सीमित खर्च पर जांच के अलावे मार्केट में अनुपलब्ध बेडाक्विलिन एवं डेलामेनिड सहित कई दवा उपलब्ध हो सकेगा। डीआर- टीबी संक्रमण का एक भयावह रूप है। इसमें प्रथम-लाइन की प्रमुख दवाएं समय से उपलब्ध नहीं होने पर समस्याएं जटिल हो जाती हैं एवं ससमय इसका इलाज नहीं किए जाने पर पेशेंट की मृत्यु भी हो सकती है।

-जल्द होगा टेंडर प्रकाशन
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि ड्रग रेजिस्टेंट टीबी रोगियों के बेहतर इलाज के लिए विभाग द्वारा नई रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है। शीघ्र ही इसके लिए एक टेंडर प्रकाशित कर ऐसे अस्पतालों का चयन इलाज के लिए किया जाएगा, जिससे टीबी रोगियों को गंभीर अवस्था से निकालने में और मदद मिलेगी। भारत सरकार के द्वारा निर्गत प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट आफ ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के अनुसार राज्य के जिलों में जिला यक्ष्मा केंद्रों पर डिस्ट्रिक्ट डीआर टीबी सेन्टर तथा 6 मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में नोडल डीआर टीबी सेंटर में नि:शुल्क जांच एवं उपचार का प्रावधान है।

पीएमसीएच : 50 प्रतिशत केस एमडीआर
पीएमसीएच में 50 प्रतिशत तक केसेज एमडीआर टीबी के मिल रहे हैं। यहां के रेस्पिरेटरी मेडिसीन डिपार्टमेंट में आउटडोर में आने वाले पेशेंट की संख्या के आधार पर यह बताया गया है। डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ समरेंद्र झा ने बताया कि कुछ प्रमुख समस्याएं हैं, जिसके बारे में समझना जरूरी है। बिहार में व्यापक तौर पर टीबी से जुड़ी समस्या की जानकारी के लिए डाटा कलेक्शन व्यापक नहीं है। डॉ समरेंद्र ने बताया कि एक्स्ट्रा पल्मुनरी टीबी जो फेफड़े के बाहर होती है वह क्लिीनिकली सस्पेक्टेड होता है। बिना जांच इसे पकडऩा मुश्किल है। अब प्राइवेट में भी जांच आदि होने से इसका ट्रीटमेंट और जांच बेहतर ढंग से हो पाएगा।

चुनौतीपूर्ण स्थिति में राहत
सीनियर फिजिशियन और टीबी विशेषज्ञ डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि टीबी के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण है। जिन्हें टीबी हो चुकी है और जब दोबारा जांच की गई है तो ऐसे मामलों में 17 से 18 प्रतिशत मामले एमडीआर टीबी के हैं। इसलिए यह उचित है कि इसे व्यापक बनाते हुए प्राइवेट प्रैक्टिसनर को भी शामिल किया जा रहा है। अब तक एमडीआर की सबसे अच्छी दवा प्राइवेट में उपलब्ध ही नहीं थी, अब उपलब्ध हो पाएगी। जिसका लाभ मिलना स्वागतयोग्य कदम है।
इस संबंध में पीएमसीएच में असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि डॉ समरेंद्र झा टीबी की जांच के लिए और इलाज विशेष तौर पर एमडीआर टीबी के लिए सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। यह बहुत अपेक्षित कदम था। अब इलाज का दायरा और बढ़ जाएगा।