-उपचुनाव में अहमियत नहीं मिलने से खफा थे जीतनराम मांझी

क्कन्ञ्जहृन्: उपचुनाव से पहले बिहार के एक्स सीएम सह हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने राजग छोड़ राजद की पतवार थाम ली है। अब मांझी राजद-कांग्रेस गठबंधन को सपोर्ट करेंगे। विधानसभा चुनाव के बाद से ही मांझी राजग से नाराज चल रहे थे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने बुधवार को उनके घर जाकर राजद में आने का न्योता दिया। मांझी से मुलाकात के बाद तेजस्वी ने उन्हें अपने माता-पिता का पुराना दोस्त बताते हुए कहा कि दोनों का मकसद एक है गरीबों और दलितों का कल्याण। तेजस्वी ने कहा कि राजग में मांझी घुटन महसूस कर रहे थे। वहां दलितों की आवाज दबाई जाती है। मांझी के साथ उचित व्यवहार भी नहीं किया जा रहा था। सीएम रहते हुए मांझी ने जो नीतियां बनाई थी, उसपर काम नहीं हो रहा था।

लोस चुनाव से पहले बिखराव

तेजस्वी ने कहा कि राजद-कांग्रेस में टूट का दावा करने वाले राजग नेताओं के लिए यह पहला झटका है। आगे और झटके मिलेंगे। तेजस्वी का संकेत राजग के एक और अहम सहयोगी तथा केंद्रीय राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा की ओर था। शिक्षा में सुधार के मुद्दे पर उनकी पार्टी रालोसपा द्वारा इसी साल 30 जनवरी को आयोजित मानव श्रृंखला में राजद के वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की थी, जिसके बाद से कुशवाहा की निष्ठा भी संशय के घेरे में है। तेजस्वी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के पहले ही राजग बिखर जाएगा। जदयू में लगातार टूट हो रही है। हाल ही में विधायक सरफराज आलम ने नीतीश का साथ छोड़कर लालू के साथ आ गए हैं।

उपेक्षित महसूस कर रहे थे मांझी

मांझी राजग में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। विधानसभा चुनाव में राजग ने 20 सीटें दी थी, जिसमें से सिर्फ एक पर जीत हुई। मांझी अपनी पार्टी के एकलौते एमएलए हैं। दो जगहों से चुनाव लड़कर एक से जीते थे।