PATNA : बाइपास ट्रैफिक थाना जीरो माइल के पास है। इस थाना पर 3 एनएच की ट्रैफिक कंट्रोल और विधि-व्यवस्था संभालने की जिम्मेवारी है। मगर यहां सिर्फ दो पुलिस पदाधिकारी के पदस्थापित होने के कारण न तो ट्रैफिक कंट्रोल ही हो पाता है और कोई दुर्घटना होने की स्थिति में घटनास्थल पर जाने से लेकर अन्य प्रक्रिया पूरी करने में पुलिस को घंटों परेशान होना पड़ता है।

सिर्फ दो पदाधिकारियों के भरोसे है थाना

पहले बाइपास ट्रैफिक थाना के पास महज एक रूम और बरामदा है। मगर 350वें प्रकाश पर्व के दौरान बिहार राज्य पुलिस निर्माण निगम के द्वारा अस्थायी थाना बनाया गया। इससे इस ट्रैफिक थाना में पोस्टेड पुलिस पदाधिकारी और जवान को काम और आराम करने में सहूलियत मिली है। मगर पदाधिकारियों का टोटा बना है। यहां एसएचओ के रूप में सतीश कुमार और एएसआई गोपाल मोहन झा हैं। इन्हीं दोनों पदाधिकारियों के बलबूते थाना के लॉ एंड ऑर्डर से लेकर ट्रैफिक कंट्रोल करने का काम किया जा रहा है। अरवल जिला से दो हवलदार यहां डेपुटेशन पर आ रहे हैं। इसके अलावा महज दो होमगार्ड के जवान यहां पदस्थापित हैं।

3 एनएच संभालना चुनौती

उत्तर में जीरो माइल से लेकर महात्मा गांधी सेतु के पाया नंबर 46 तक, पूरब में एनएच 30 फोर लेन के करमलीचक, दक्षिण में पटना-मसौढ़ी के गोपालपुर तक और पश्चिम में एनएच 30 फोरलेन में नंदलाल छपरा और नीचे लेन से रामकृष्णनगर थाना के बस स्टैंड तक एरिया है। ऐसे में ट्रक, बस, टैंकर लॉरी, ट्रैक्टर, कॉमर्शियल व्हीकल, लग्जरी और थ्री और टू व्हीलर का दबाव है। महात्मा गांधी सेतु पर वाहनों का ारी दबाव होने और एक लेन कटने से ट्रैफिक का भारी दबाव और जाम की स्थिति बनी रहती है।

दुर्घटना होने पर स्थिति ायावह

यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो घटनास्थल पर जाकर वाहनों का नंबर नोट करना होता है इसके बाद वाहन को जत कर थाना पहुंचवाना होता है। कोई घायल हुआ तो उसे इलाज के लिए एनएमसीएच में भर्ती करवाना होता है। यदि दुर्घटना में किसी की मौत हो गई, तो उसका पंचनामा कराकर परिजनों को सूचना देना और पोस्टमार्टम कराना होता है। ऐसे में पदाधिकारियों की कमी से काम काफी प्रभावित होता है।

पुलिस पदाधिकारी और बल की कमी का असर ट्रैफिक कंट्रोल से लेकर दुर्घटना के बाद कार्रवाई करने पर पड़ता है। मगर इसी में काम चलाया जा रहा है।

सरीश कुमार, एसएचओ, बाइपास ट्रैफिक थाना