पटना ब्‍यूरो। उससे बचा जा सके। बिहार के पटना जि़ले में लगभग 9,75,578 घर हैं। इनमें से 4,29,424 शहरी घर और 5,46,154 ग्रामीण घर हैं। पटना जि़ले में लगभग 1264 गांव हैं। पटना में लगभग पांच लाख के करीब शहरी क्षेत्र में घर हैं जिसमें 28,74,000 जनसंख्या रहती है। इतनी बड़ी आबादी अगर पानी के प्रति संवेदनशीलता दिखाती है तब जरूर हम पानी को लेकर कुछ बेहतर दावा करने की स्थिति में हो सकते हैं। क्या है वो हमारी आदतें जिसकी वजह से पानी की बर्बादी के हम भी सहभागी बन जाते हैं और हम अपनी उन आदतों में सुधार कर के कैसे जल संरक्षण में अपना छोटी सी ही सही एक योगदान कर सकते हैं। इन सब विषयों पर हम अपने जल विशेषज्ञों से विस्तार से इसके बारे में जानेंगे।

रूफ टॉप योजना से बचाएं पानी


हमारे पहले एक्सपर्ट दीपक कुमार जो कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में पर्यावरण आधिकारी (नीति और योजना)हैं। दीपक कहते हैं कहते हैं कि रूफ टॉप योजना को अगर हम 100 वर्ग फीट के छत पर लागू करते हैं और साल में अगर 24 इंच भी बारिश होती है तब हम जमीन के अंदर 15 सौ गैलन पानी भेज सकते हैं।

दीपक कुमार घरेलू आदतों में सुधार कर पानी बचाव पर बता रहे हैं कुछ टिप्स:-


जांच करें कि पानी का रिसाव न हो


जल संरक्षण को लेकर सबसे पहले में इसकी शुरुआत अपने घर से ही कर सकते हैं। आमतौर पर घरों में पाइप में बहुत बार लिकेज की वजह से बहुत पानी बर्बाद हो जाता है। लेकिन प्राय: हमारा ध्यान इन छोटी-मोटी लिकेज की ओर नहीं जाता है। ऐसे में रोजाना अपने घरों में इस बात का ध्यान रखें कि कहीं पाइप में लिकेज तो नहीं आई है। अगर कहीं लिकेज दिखे तो उसे तुरंत ठीक कराने का प्रबंध करें।

आवश्यकता के अनुसार जल यूज करें


एक कहावत है कि हमें उतना ही पांव पसारना चाहिए जितनी लंबी चादर हो। यह कहावत पानी को लेकर भी उतना ही प्रासंगिक है। हमें पानी को लेकर भी इस नियम का पालन करना चाहिए। मतलब कि हम उतना ही पानी लें जितना में हमारी आवश्यकता पूरी हो रही हो। बहुत बार आवश्यकता से अधिक पानी ले लेते हैं जो कि फिर बर्बाद ही हो जाता है।


यूज के बाद नल बंद रखें


अक्सर हमारी आदतों में यह शुमार होता है कि जब भी हम नल पर कोई पानी वाला काम कर रहे होते हैं तब पानी की जरूरत नहीं होने पर भी उसे खुला छोड़ कर बाकी का काम करते रहते हैं। इस प्रक्रिया में बहुत अधिक पानी बर्बाद होता है लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होता है। पानी के नलों को इस्तेमाल के बाद हर हाल में बंद करने की कृपा करके आप भी पानी बचा सकते हैं।

ब्रश करते समय नल रखें बंद


सुबह उठने के बाद हमें सबसे पहले पानी की जरूरत पड़ती है। चाहे वह पीने के लिए पानी हो या ब्रश करने के लिए या फिर टॉयलेट जाने के लिए हम पानी का यूज करते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में भी हम नल से बेतहाशा पानी खर्च करते हैं। तो कृपया ब्रश करते समय नल को बंद रखें और आवश्यकता होने पर ही उसे खोलें। इस प्रक्रिया से भी पानी संरक्षण के लिए आप योगदान कर सकते हैं।

नहाने में अधिक जल बर्बाद न करें


कुछ लोग घंटों स्नान करते हैं। हालांकि इसकी बहुत आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि कम पानी में भी हम अपने शरीर को साफ और स्वास्थ्य रख सकते हैं। तो नहाने के समय इस बात का ध्यान रखकर कि हम अधिक पानी बर्बाद न करें पानी बचाव में छोटी सी ही सही कुछ तो योगदान कर ही सकते हैं।

ऐसी वाशिंग मशीन व कूलर यूज करें जिससे अधिक जल की खपत न हो


बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का हम यूज करते हैं जिसमें पानी की आवश्यकता होती है। जैसे वाशिंग मशीन और कूलर में बहुत अधिक पानी का यूज जाने-अनजाने में कर देते हैं। लेकिन इन मशीनों में पानी इस्तेमाल को लेकर डायरेक्शन दिया हुआ होता है। दिए हुए निर्देश का पालन करते हुए पानी का यूज करें तो कुछ हद तक यहां से भी हम पानी बचा सकते हैं।

गंदे पानी का यूज पौधा सींचने में करें


सब्जियों तथा फलों को धोने में यूज किए गए जल को फूलों व सजावटी पौधों के गमलों को सींचने में किया जा सकता है। पूरे पटना में एक बड़ी आबादी रहती है और सभी घरों में सब्जी और फलों को धोने के बाद जो पानी बचा हुआ होता है उसका इस्तेमाल हम पीने में नहीं कर सकते हैं लेकिन इसका इस्तेमाल गमलों और फूलों को सींचने में कर सकते हैं। पानी की बोतल में अंतत: बचे हुए जल को फेंकें नहीं बल्कि इसका पौधों को सींचने में यूज करें। पानी के हौज को खुला न छोड़ें। तालाबों, नदियों में कचरा न फेंकें।

जरूरी है जल बचाना


डॉ ममतामयी प्रियदर्शिनी जल संरक्षण को लेकर काम करती है। दैनिक जागरण आइनेक्स्ट के मुहिम जल बचाओ अभियान में वह निम्न सुझाव दे रही हैं जिससे पानी का काफी बचाव किया जा सकता है:-

सब्जी धोते समय जरूरत ना हो तो नल बंद कर दें


1. छोटे ग्लास या बॉटल में किसी को पानी दें या पिएं। ये ध्यान रखें कि पीने के बाद बचा हुआ पानी या तो पौधों में जाए या किसी बाल्टी में जमा कर के घरेलू उपयोग में आए।
2. घरों में नल के रिसाव को तुरंत ठीक करें। टपकते नल, बूंद-बूंद करके बड़ी मात्रा में जल को बचाया जा सकता है। वर्षा के पानी को इक_ा करें।

3. फुटपाथ को धोने की बजाय झाड़ू का ज्यादा उपयोग करें।
4.घरों में पानी बचाने वाले उपकरण लगाएं।
5. जैसे गांव में सफाई और स्वच्छता अभियान की शिक्षा दी जाती है, उसी तरह से जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाएं।
6. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, जीविका दीदी को तरह पंचायत में जल दीदी हों जिन्हें ये शिक्षा दी जाए कि वो जल संरक्षण के छोटे-छोटे उपाय अपनाने के लिए ग्रामीण महिलाओं और बच्चों को प्रेरित करें।
7.कृषि में पानी के उपयोग को कम करने के लिए ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाएं।
8. सामुदायिक प्रयास : पानी के अनावश्यक बरबादी को बचाने, संरक्षण उपायों को लागू करने के लिए सामुदायिक स्तर पर काम करें।