- पटना मेडिकल कॉलेज में इलाज के साथ संक्रमण का खतरा

- मरीजों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं, बढ़ रही है लोगों की सांसत

- आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद तस्वीरों को देख लगाइए स्वास्थ्य सेवा का अंदाजा

PATNA : राजधानी को प्रदेश का आइना माना जाता है, लेकिन यहां तो आइना ही धुधला है। बात स्वास्थ्य सेवाओं को करें तो अस्पतालों में जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों के अंदर से मानवता गायब हो रही है। राजधानी में स्वास्थ्य सेवा की हकीकत जानने के लिए आई नेक्स्ट टीम जब पटना मेडिकल कॉलेज पहुंची आंखे खुली रह गई। फर्श पर कराह रहे मरीजों की हर आह व्यवस्था की पोल खोल रही थी। आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद मरीजों की तस्वीर देख किसी की भी रुह कांप जाएगी और इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकेगा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है?

- बेड से अधिक फर्श पर पड़े मरीज

आई नेक्स्ट टीम जब पीएमसीएच पहुंची तो बरामदे में ही अधिक संख्या में मरीज लेटे नजर आए। बीमारी भी कोई साधारण नहीं थी। किसी को सांस की तो किसी को पेट की गंभीर बीमारी थी। वह जिंदगी के लिए तड़प रहे थे। फर्श पर पड़े मरीजों को ड्रिप भी चढ़ रहा था। व्यवस्था से तंग मरीजों की कराह उनके परिजनों को परेशान कर रही थी। वह दौड़कर डॉक्टर के पास भी जाते थे लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था।

- इमरजेंसी वार्ड में वेंटीलेटर पर स्वास्थ्य सेवा

पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य सेवा वेंटीलेटर पर है। ड्रिप के लिए एक अदद स्टैंड भी नहीं कि जमीन पर लेटे मरीजों को राहत मिलें। किसी को रस्सी के सहारे दवाएं टांग कर ड्रिप चढ़ाया जा रहा है तो किसी को बिजली के तारों के सहारे ही बोतल चढ़ाया जा रहा है। जमीन पर लेटकर इलाज कराने से मरीजों में संक्रमण होने का खतरा होता है लेकिन पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में इसका जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

-मरीजों का हाल जानने वाला भी नहीं

मरीजों की शिकायत है कि वह कई दिनों से पड़े हैं लेकिन डॉक्टर एक दो बार ही आते हैं। जब कोई दिक्कत आती है और उनके तीमारदार डॉक्टर को बुलाने जाते हैं तो वे सुनते ही नहीं हैं। ऐसे में वह व्यवस्था का दंश झेलने को मजबूर हैं। पिता का इलाज करा रहे पवन कुमार का कहना है कि सांस की दिक्कत से उन्हें भर्ती कराया गया लेकिन व्यवस्था ऐसी है कि कोई सुधार नहीं हो रहा है। उनका आरोप है कि कई बार डॉक्टर को बुलाने के बाद भी कोई नहीं आता है। उन्हें सांस में दिक्क्त बढ़ती है तो खुद से आक्सीजन का मास्क लगाना पड़ता है।

- गंदगी के पास मरीज, संक्रमण का खतरा

मरीजों को जमीन पर गंदगी के पास रखा गया है। इससे हमेशा संक्रमण का खतरा बना रहता है। अस्पताल के इमरजेंसी में भी साफ सफाई को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। हर तरफ गंदगी है और कूड़े का ढेर है। इसमें अस्पतालों से निकला वेस्टेज के साथ मरीजों और उनके तीमारदारों का फेका गया कूड़ा शामिल है।

- स्ट्रैक्चर नहीं गोद में ले जाए जाते हैं मरीज

पीएम सीएच में स्ट्रैक्चर दिखा ही नहीं। आई नेक्स्ट के कैमरे में कैद ये तस्वीर एक ऐसे मरीज की है जिसका पैर टूटा हुआ है। प्लास्टर लगा है और उसके परिजन उसे गोद में उठाकर ले जा रहे हैं। अगर स्ट्रैक्चर होता और आसानी से मरीजों को मिल जाता तो उन्हें ऐसी दिक्क्त नहीं होती। वार्ड से गेट तक मरीज को ले जाने में काफी परेशानी हुई लेकिन व्यवस्था नहीं होने से वह मजबूर दिखे।

- सरकार ही है जिम्मेदार

पीएमसीएच के जिम्मेदारों का आरोप है कि मरीजों की दुर्दशा के लिए सरकार ही दोषी है। कई बार व्यवस्था के लिए मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अगर सरकार गंभीर होती तो शायद ऐसी दिक्कत नहीं होती। सरकार प्रदेश के मरीजों की सुविधाओं को लेकर कोई मांग पूरी नहीं कर रही है। जिम्मेदारों का कहना है कि हर मांग को अनसुना किया जा रहा है।

सौ बेड के अस्पताल में जब फ्00 मरीज आएंगे तो कैसे व्यवस्था दे पाएंगे। क्00 बेड के अस्पताल को पांच सौ बेड का करने की मांग काफी दिनों से की जा रही है। कई बार लिखापढ़ी की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमारे पास जो व्यवस्था है उसके हिसाब से इलाज किया जा रहा है।

- डॉ। लखींद्र प्रसाद, सुपरीटेंडेंट, पीएमसीएच