- पटना मेडिकल कॉलेज का लाइव ऑपरेशन

- मरीजों को खुद से लगाना पड़ता है आक्सीजन

- पीएमसीएच में इलाज में डॉक्टर करते हैं मनमानी

PATNA (27 July): बिहार में जब भी अस्पतालों की बात चलती है, पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल (पीएमसीएच) का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है। क्योंकि यह बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है जहां दूर-दराज से पेशेंट इलाज कराने यहां आते हैं। इस लिहाज से यहां की व्यवस्था और सुविधाएं भी उसी अनुरूप होनी चाहिए थी जितना बड़ा इस अस्पताल का नाम है। लेकिन यहां की हालत देखकर रोना आता है। रोगी को वार्ड तक ले जाने, परिजनों के प्यास बुझाने, मरीजों के लिए प्रॉपर बेड की सुविधा, इलाज की सुविधा आदि का भी घोर अभाव है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पटना मेडिकल कॉलेज में मरीजों के साथ हो रहे खिलवाड़ की पड़ताल की तो कई ऐसी मनमानी सामने आई जो सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चुनौती है। पेश है पीएमसीएच में व्यवस्था और मारीजों का हाल व्यां करता एक स्पेशल रिपोर्ट

- यहां तो परिजन ही लगाते हैं आक्सीजन

पटना मेडिकल कॉलेज में गंभीर बीमारी का इलाज करा रहे मरीज की चिंता न तो डॉक्टर को होती है और न ही किसी स्वास्थ्य कर्मी को। आलम ये है कि यहां मरीजों को लगाया जाने वाला आक्सीजन भी उनके परिजनों के भरोसे होता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में एक ऐसा मरीज मिला जिसे आक्सीजन उसके परिजन ही लगा रहे थे। परिजनों का कहना था कि काफी देर से मरीज की सांस फूल रही थी और उसके इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाया जा रहा था लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। ऐसे में मरीज के परिजनों ने खुद से मरीज को लगाया गया आक्सीजन चेक किया और दोबारा लगाने का प्रयास करना शुरू कर दिया।

- मरीजों को देखने वाला कोई नहीं

पटना मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों को अटेंड करने वाला कोई नहीं होता है। यहां मरीजों को दिया जाने वाला स्ट्रक्चर भी ऐसा होता है कि संभले नहीं तो धड़ाम से नीचे ही जा गिरेंगे। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब पटना मेडिकल कॉलेज पहुंची तो कई ऐसे मरीज मिले जिन्हें पूछने वाला कोई नहीं था। स्वास्थ्य कर्मियों के पास इतना समय नहीं था कि वह मरीजों के पास जाकर उनका दर्द पूछ सके।

- बेहाल इधर उधर घूमते मरीज

पटना मेडिकल कॉलेज में उपचार करा रहे मरीजों का इधर उधर घूमना मजबूरी है। वह समझ नहीं पाते हैं क्या करें और किससे अपना दर्द सुनाए। पड़ताल के दौरान कई ऐसे मरीजों से मुलाकात हुई जो कई दिनों से भर्ती हैं लेकिन अस्पताल की व्यवस्था से परेशान हैं। वह समझ नहीं पाते हैं कि दिक्क्त होने पर किससे मिले और किससे उपचार की बात करें। मरीजों का कहना है कि डॉक्टर राउंड पर कभी कभार आते हैं और स्टाफ तो बुलाने से सुनता ही नहीं।

- घर वाले न हों तो जान बचाना मुश्किल

मरीजों के साथ उनके घर वाले न रहें तो जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि मेडिकल कॉलेज में हर कदम पर मनमानी है। मरीजों को अस्पताल की गैलरी में ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। उन्हें देखने वाला कोई नहीं होता है। कई बार मरीजों की हालत खराब होती है और उन्हें देखने वाला कोई नहीं होता है। अस्पताल में उनके परिजन दौड़ धूप न करें तो जान बचाना आसान नहीं होगा।

- यहां जमीन पर लिटाकर होता है इलाज

पटना मेडिकल कॉलेज में जमीन पर ही लिटाकर इलाज किया जाता है। मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है और फिर उन्हें फर्स पर जगह दे दी जाती है। एक दो नहीं मेडिकल कॉलेज में ऐसे मरीजों की संख्या दर्जनों में होती है जिन्हें बेड तक नसीब नहीं होता है। इलाज के लिए आने वाले मरीजों को ये नहीं पता होता है कि फर्स पर उन्हें संक्रमण हो सकता है। वह इलाज के लिए आए हैं लेकिन उनका मर्ज संक्रमण से और बढ़ सकता है।

- परिजनों को खुद बनना पड़ता है कम्पाउंडर

मरीजों के साथ आए परिजनों को खुद कम्पाउंडर बनना पड़ता है। पटना मेडिकल कॉलेज में ऐसे मरीज भी देखने को मिले जिनके परिजन उनका उपचार करते दिखे। कई ऐसे मरीज दिखे जिनके परिजन उन्हें इंट्राकैथ लगाते देखे गए। कई ऐसे भी मरीज थे जिनके परिजन उन्हें और कई ऐरी मदद कर रहे थे जो एक कम्पाउंडर को ही करना चाहिए। ऐसा करना बड़ा जोखिम हो सकता है और परिजन की एक चूक से मरीज की जान भी जा सकती है। लेकिन वह मजबूर हैं क्योंकि उन्हें देखने वाला कोई नहीं होता है। मरीज के परिजन बार बार बुलाते हैं लेकिन मेडिकल स्टाफ जल्दी सुनता ही नहीं।

- पेयजल है या संक्रमण बांटने की मशीन

पटना मेडिकल कॉलेज में लगी पेयजल की मशीन के आस पास काफी गंदगी है। देखने से ही लगता है कि मशीन के आस पास काफी संक्रमण होगा। ऐसा लगता है कि काफी दिनों से मशीन की साफ सफाई नहीं हुई है। वाटर कूलर पूरी तरह से गंदा पड़ा है इसके बाद भी मरीजों को वहीं से पानी पीना पड़ता है। ऐसे मरीजों को इलाज कराने आए उनके परिजन भी बीमार हो जाते हैं। पानी के कारण लोगों को परेशानी बढ़ सकती है और आंतों के संक्रमण के साथ अन्य कई जल जनित बीमारी हो सकती है। पटना मेडिकल कॉलेज मरीजों और उनके परिजनों के लिए पेयजल की व्यवस्था को लेकर कोई ध्यान नहीें देता है। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि वह मजबूर हैं अस्पताल में इलाज कराना है तो पानी भी यहीं का ही पीना है।