PATNA : धरतीपुत्र एक बार फिर ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ठगा सा इसलिए कि धान में क्7 फीसद से अधिक नमी होने के कारण एक ओर जहां पैक्सों ने खरीद की रफ्तार को धीमा कर रखा है वहीं दूसरी तरफ धान खरीद पर राजनीति तेज हो गई है। इस बार सरकार ने क्ब्70 रुपए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। मगर अधिक नमी की ओट में बिचौलिये किसान को क्क्00-क्क्भ्0 रुपए प्रति क्विंटल धान बेचने को मजबूर कर रहे हैं। हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने अधिक नमी पर खरीदारी के नए मानक तय करने के लिए केंद्र से अनुरोध किया है।

ख्0 फीसद से ज्यादा नमी

मालूम हो कि केंद्र सरकार के मानकों के मुताबिक पैक्सों में क्7 फीसद से कम नमी वाले धान ही खरीदे जा सकते हैं। किंतु अभी जो धान आ रहे हैं उसमें ख्0 फीसद से ज्यादा नमी की मात्रा है। इस बीच एफसीआई एडवाइजरी कमेटी की बिहार शाखा के अध्यक्ष सीपी ठाकुर ने राज्य सरकार से मांग की है कि धान खरीद की अनुमति एफसीआई को दी जाए। वहीं खरीद की सुस्त रफ्तार के लिए भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने राज्य सरकार को जिम्मेवार ठहराया है, जबकि सूबे के सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने केंद्र के मत्थे आरोप मढ़ा है।

धान खरीद में राज्य सरकार की ओर से लापरवाही नहीं है। नमी के मुद्दे पर खरीद के मानकों में तब्दीली की जरूरत है। राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है। अगर केंद्र नए मानक तय कर बता दें तो खरीदारी की रफ्तार तेज हो जाएगी।

-आलोक मेहता, सहकारिता मंत्री, बिहार सरकार