- 23 जनवरी 2015 को निगरानी की टीम ने फुलवारी शरीफ के राजस्व कर्मचारी को किया था ट्रैप

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PATNA : निगरानी अन्वेंषण ब्यूरो हमेशा घूस लेने वाले सरकारी नुमाइंदों को अपने घेरे में लेती है। लेकिन एक मामला ऐसा सामने आया है, जिसमें निगरानी की टीम ही घिर गई है। केस संख्या 7/ख्0क्भ् में जिन दो लोगों को निगरानी की टीम ने गवाह बनाया था, वो गवाह कोर्ट आने से कतरा रहे हैं। वो कोर्ट में गवाही देने नहीं आ रहे हैं। क्योंकि इन दोनों को अब खुद अपने ही जाल में फंसने का डर सता रहा है। ये फंसने के डर से भाग रहे दोनों गवाहों के नाम हैं जितेन्द्र सिंह और अरूण कुमार सिंह। दोनों ही परसा बाजार थाना के सिमरा इलाके के रहने वाले हैं।

अब जानिए क्या है पूरा मामला?

ख्9 दिसंबर ख्0क्ब् को परसा बाजार के सिमरा इलाके के रहने वाले अरूण कुमार ने निगरानी के एसपी के समक्ष एक कंप्लेन की थी। जिसमें फुलवारी शरीफ अंचल के प्रभारी सर्किल इंस्पेक्टर सह राजस्व कर्मचारी अमरेन्द्र कुमार सिन्हा के खिलाफ जमीन की रसीद काटने के एवज में क्0 हजार रुपए की घूस मांगने का आरोप लगाया गया था।

रुपए को बनाया एविडेंस

कंप्लेन मिलने के ख्भ्वें दिन निगरानी की टीम ने ख्फ् जनवरी को सिपारा इलाके में स्थित राजस्व कर्मचारी के ऑफिस में छापेमारी की थी। मौके से अमरेन्द्र कुमार सिन्हा को निगरानी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया था। इनके पास से कुल फ्भ् हजार रुपए बरामद किए गए थे। लेकिन वो रुपए नहीं मिले जिसे कंप्लेन करने वाले अरूण कुमार ने दिया था। दरअसल, अमरेन्द्र की मानें तो फ्ख् हजार रुपए सरकार के ही थे। जबकि बाकि के फ् हजार रुपए जमीन के रसीद काटने से जमा हुए थे। लेकिन निगरानी टीम ने सरकार फ्ख् हजार रुपए में से ही 9 हजार रुपए घूस का बता दिया और बाकि के रुपए शो नहीं किए गए।

रिपोर्ट पर मिली थी बेल

अमरेन्द्र को गिरफ्तार कर निगरानी की टीम ने जेल जेल भेज दिया था। म् महीने तक इन्हें जेल में रहना पड़ा। बेल तब मिला जब उस वक्त पटना के एडीएम रहे प्रवीण कुमार गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट दी। जिसमें इस बात का जिक्र है कि कंप्लेनेंट ने अंचल कार्यालय में किसी प्रकार का कोई आवेदन जमा नहीं किया था।

नौकरी से किया गया बर्खास्त

जेल की सजा काटने के साथ ही अमरेन्द्र को अपनी सरकारी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा। पटना के डीएम ने पिछले साल एक आदेश जारी कर अमरेन्द्र को सेवा से बर्खास्त करने कर आदेश जारी कर दिया। नौकरी से हाथ धोने की वजह से फैमिली की माली हालत खास्ता हो गई है। मां, वाइफ, बेटा और बेटी की लाइफ की गाड़ी थम सी गई है।

एक ही इलाके के हैं तीनों

खास बात ये है कि कंप्लेन करने वाला शख्स अरूण कुमार और दोनों गवाह एक ही इलाके से आते हैं। सवाल ये उठता है कि जिस वक्त अमरेन्द्र कुमार सिन्हा को निगरानी की टीम ने गिरफ्तार किया, उस दौरान वहां काफी लोग मौजूद थे। कोई स्वतंत्र व्यक्ति इस केस में गवाह क्यों नहीं बना। दोनों गवाह कंप्लेन करने वाले अरूण कुमार के इलाके के ही रहने वाले कैसे निकल गए? अब ये कोर्ट में गवाही देने क्यों नहीं आ रहे हैं?

दर-दर लगाई फरियाद

अपनी बेगुनाही को साबित करने के लिए अमरेन्द्र कुमार निगरानी की पूरी कार्रवाई और गवाहों के कोर्ट में नहीं आने के मामले पर सवाल उठा रहे हैं। वो अब इस मामले की जांच कराने की मांग कर रहे हैं। इस लिए अमरेन्द्र ने राज्यपाल, सीएम, मानवाधिकार आयोग, डीजीपी और निगरानी सूचना केन्द्र में जाकर गुहार लगाई। दर-दर फरियाद करने के बाद भी उनकी कोई एक नहीं सुन रहा है। फिलहाल पूरा मामला निगरानी की अदालत में है। अब वह कोर्ट से ही न्याय मिलने की आस संजोए बैठे हैं।