पटना (ब्यूरो)। बिहार में फार्मेसी की पढ़ाई आज भी पिछड़ा है। राष्ट्रीय स्तर पर फार्मेसी की पढ़ाई में तमाम एडवांसमेंट और इसके ऑनलाइन ट्रैकिंग की व्यवस्था अलग-अलग राज्यों में है। बिहार में यह नहीं है जबकि यहां करीब 115 फार्मेसी कॉलेज अस्तित्व में हैं और इसमें भी 100 कॉलेज कोविड काल के दौरान ही मान्यता पाए हैं। नए फार्मेसी कॉलेज यहां खोल दिये गए लेकिन मानकों के अनुसार फार्मेसी के टीचर संबंधित कॉलेजों में बहाल नहीं किये गए हैं। यही वजह है कि फार्मेसी के हजारों छात्र एकलव्य बनकर पढ़ रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस बारे में छात्रों से बातचीत की तो छात्रों ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि उनके संस्थान ने ही कहा है कि आप क्लास चाहे तो नहीं भी कर सकते हैं। ऐसा इसलिए कि उनके पास शिक्षक नहीं है।

ऑनलाइन पढाई बड़ा माध्यम
फार्मेसी की पढ़ाई बिहार मेें बहुत हद तक ऑनलाइन पढ़ाई के बूते ही चल रही है। गूगल और फार्मेसी के सेक्टर में ऑनलाइन नॉलेज शेयर करने वाले वेबसाइट से ही पढाई कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि जब उन्होंने एडमिशन लिया था संबंधित संस्थान में तब सभी प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर और टीचिंग फैकल्टी की बात बताई गई थी। लेकिन जब क्लास करने लगे तो सच सामने आ गया।

पकड़े जाएंगे फर्जी शिक्षक
बीएड कॉलेजों की भांति अब फार्मेसी कॉलेजों में भी शिक्षकों और छात्रों का ऑनलाइन वेरीफिकेशन होगा। इस संबंध में सरकार की ओर से गजट लाया गया है। गजट के तहत अब सभी सरकारी-निजी कालेजों या विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों और पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को आधार नंबर से हर सत्र में आनलाइन सत्यापन करना अनिवार्य होगा। इस गजट प्रकाशन का उद्देश्य फार्मेसी शिक्षा में फर्जी छात्रों और फर्जी प्रोफेसरों को बाहर कर योग्य फार्मासिस्ट तैयार करना है। नई व्यवस्था के तहत अब एक शिक्षक एक संस्थान में पढ़ा पाएंगे। इसका अर्थ है एक शिक्षक किसी एक ही कॉलेज में स्थायी तौर पर पढ़ा सकेंगे।

क्वालिटी बढ़ाने के लिए कदम
नए प्रावधानों में फार्मेसी की पढ़ाई का अप्लीकेशन बहुत अधिक बढ़ा है। दवाओं का केवल वितरण मात्र ही इस पढ़ाई का उदेश्य नहीं है। वैक्सीन व दवा निर्माण, इसके बेहतर स्टाकिंग और ड्रग के रिएक्शन आदि पर भी उनका रोल रहेगा। इसके साथ ही ड्रग इनफामेंशन सेंटर की स्थापना के लक्ष्य में भी फार्मा एक्सपर्ट की बड़ी भूमिका है। इस नाते पहला कदम क्वालिटी टीचिंग ही है। इसके लेकर फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से कार्य कर रहा है।


फार्मेसी की क्वालिटी पढाई और रिसर्च के लिए शिक्षकों का ऑनलाइन वेरीफिकेशन अनिवार्य है। अन्य राज्यों में यह लागू है और बिहार में भी इसे कड़ाई से लागू किया जाएगा। इसका लाभ छात्रों को होगा।
- कुमार अजय, चेयरमैन लॉ कमेटी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया