- आईआईटी विशेषज्ञ से चल रही डिजायन पर मंत्रणा

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प्रोजेक्ट एक नजर में

प्रशासनिक स्वीकृति-167.85 करोड़

काम आरंभ होने की तारीख- 28 जून 2013

पूरा होना था- 27 दिसंबर 2015

संशोधित तारीख- 31 मार्च 2017

नया लक्ष्य-जून 2017

PATNA: डिजायन के बाद कंसलटेंट के चक्कर में पटना स्टेशन रोड फ्लाईओवर का निर्माण अटक गया है। यह चिरैयाटांड़ फ्लाईओवर को मीठापुर आरओबी से जोड़ने वाला फ्लाईओवर है। इसके एक साइड को बाद में फ्रेजर रोड की ओर निकालने की योजना है। साढ़े तीन वर्ष पहले आरंभ इस पुल को एक साल पहले पूरा होना था। अब तक ब् बार तारीख में बदलाव हो चुका है। नए निर्देश के तहत अगले वर्ष जून तक फ्लाईओवर को पूर्ण करने की योजना है।

सीएम ने की थी टिप्पणी

सीएम नीतीश कुमार ने पिछले दिनों लोकसंवाद के दौरान इस फ्लाईओवर के निर्माण में हो रही देरी पर हैरत जताते हुए टिप्पणी की थी कि ऐसा लगता है कि कहीं कुछ गड़बड़ है। उन्होंने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अध्यक्ष को नीचे स्तर की मानीट¨रग की भी सलाह दी थी। पिछले दिनों डिप्टी सीएम सह पथ निर्माण मंत्री ने जब इस प्रोजेक्ट की समीक्षा की तो उन्होंने इसे जून ख्0क्7 में हर हाल में पूरा करने का आदेश दिया।

पहले डिजायन में बदलाव

पटना में मेट्रो के स्वीकृत एलायनमेंट के तहत पटना जंक्शन के पास से मेट्रो अंडर ग्राउंड होकर मीठापुर बस स्टैंड तक जाएगी। इसके बारे में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने पहले राइट्स को लिखा कि वह बताए कि किस तरह से पुल का एलायनमेंट किया जाए ताकि मेट्रो के एलायनमेंट में परेशानी न हो। राइट्स से लंबी अवधि तक कोई उत्तर नहीं मिलने के बाद पुल निर्माण निगम ने खुद एलायनमेंट में बदलाव कर मेट्रो के लिए पर्याप्त जगह छोड़ दी। इस पूरी प्रक्रिया में इस फ्लाईओवर के डिजायन में बदलाव किया गया।

अब कनाडा इफेक्ट कर रहा परेशान

पहले डिजायन में बदलाव के बाद यह तय हुआ कि बीच के हिस्से को एक्स्ट्रा डोज केबल तकनीक से बनाया जाएगा। जिसकी व्यवस्था देश में नहीं है। इसके लिए कनाडा के कंसलटेंट एजेंसी को उसके भारत स्थित कंसलटेंट के माध्यम से तय किया गया। इसमें परेशानी यह है कि एक-एक डिजायन की तस्वीर कनाडा भेजी जाती है। अनुमति मिलने के बाद ही काम आगे बढ़ता है। इस दौरान उसके भारत स्थित कंसलटेंट ने प्रोजेक्ट में रुचि लेनी बंद कर दी। इस चक्कर में प्रोजेक्ट अटका है। बिहार राज्य पुल निर्माण से मिली जानकारी के अनुसार अब आइआइटी के विशेषज्ञों से इस बारे में राय ली जा रही है।