PATNA: आज पेमेंट और ट्रांजेक्शन के कई ऑप्शन हैं। आरटीजीएस, एनइएफटी, पीओएस सहित कई उदाहरण हैं। लेकिन कैश का प्रयोग छोटे खर्चे या ऐसे काम जिसमें बिना कैश के काम न चले, उसमें ही करना बेहतर है। उक्त बातें आरबीआई के रीजनल डायरेक्टर (बिहार -झारखंड) एमके वर्मा ने बीआइए में 'डीमोनेटाइजेशन' विषय पर आयोजित परिचर्चा में कही। उन्होंने इस बात को खारिज किया कि कैश का व्यापक संकट है या एटीएम मशीनों में नोट की किल्लत है।

कैश की सुविधा देना आसान नहीं

वर्मा ने कहा कि नकद का फिजिकल ट्रांजेक्शन कोई बहुत अच्छी बात नहीं है। बैंक जाएं या एटीएम। दोनों ही स्थितियों में कैश की जरूरत है। बताया कि मार्च ख्0क्म् में क्7 ट्रिलियन करेंसी नोट जारी किया गया था। अब तक ब्.8 ट्रिलियन करेंसी नोट जारी किया गया है। जिस प्रकार से अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ रहा है वैसे ही नकदी में हर काम करना व्यावहारिक नहीं है। नोट कागज से बनता है और इसके अलावा इसका सेफ ट्रांजेक्शन पर भी बहुत खर्च होता है।

कैशलेस कोई नई बात नहीं

कहा कि कैशलेस को लेकर आज इतनी चर्चा भले ही है। लेकिन आरबीआई बीते दो दशकों से इसके लिए अपना अभियान जारी रखा है और इसके फायदे दिख रहे हैं। पहले बैंक में सभी काम मैनुअली होता था। कई बार लेजर अपडेट नहीं किये जाने या गड़बड़ी होने की भी संभावना रहती थी। आरबीआई के निर्देश पर सभी बैंक संस्थानों में डिजिटाइजेशन किया गया। अब बेहतर सुविधा मिल रही है। बीआइए के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने रीजनल डायरेक्टर एमके वर्मा का स्वागत किया। कहा कि बैंक में अकाउंट खोलने का काम मिशन मोड पर किया जा रहा है। साथ ही केवाईसी के ना‌र्म्स को भी आसान कर दिया गया है। एक फोटो आईडी और सिगनेचर से भी पूअर लोगों का बैंक अकाउंट खोला जा रहा है। दस हजार की आबादी वाले गांव में नाबार्ड को निर्देश दिया गया है कि कम से कम दो पीओएस मशीन की व्यवस्था करें। इस अवसर पर सेक्रेटरी जनरल अरविंद कुमार सिंह, वाइस प्रेसिडेंट संजय भरतिया, चाटर्ड अकाएंटेंट एवं बीआइए मेंबर सुबोध कुमार, एक्स वीपी नीशीथ जायसवाल सहित अन्य उपस्थित थे।