शहर के कई क्षेत्रों में होलिका दहन के लिए लगा कचरे का ढेर

PATNA : प्रेम और भाईचारे का संदेश देने वाली होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन की अनूठी परंपरा आज भी कायम है। असत्य पर सत्य का विजय के इस आयोजन में लकड़ी, तिल, जौ, हवन सामग्री, धूप, फूल, अक्षत, पान और सुपारी की जगह टायर, प्याज के छिलके, थर्माकोल और प्लास्टिक आदि डालकर लोग आस्था का अपमान कर रहे है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास पिछले कई दिनों से होलिका दहन के लिए टायर, कचरा एकत्र करने की शिकायत आ रही थी। हकीकत जानने के लिए हमारी टीम शहर के चार इलाकों का मुआयना किया तो सामने आया होली का सच पढि़ए लाइव रिपोर्ट

गांधी मैदान

होलिका दहन का सच जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम सबसे पहले गांधी मैदान थाने के पास पहुंची। वहां होलिका दहन के लिए थर्माकोल, कचरा और प्लास्टिक की पन्नी का ढेर लगा हुआ था। रिपोर्टर ने वहां मौजूद रमेश से सवाल किया तो उसने बताया कि लकड़ी को जलाने में कचरा, थर्माकोल और प्लास्टिक सहायक है। यहां हर साल इसी तरह होलिका दहन किया जाता है। इसलिए थर्माकोल और प्लास्टिक डाला गया है।

साहित्य समेलन मोड़

इसके बाद हमारी टीम साहित्य समेलन मोड़ पहुंची। वहां भी होलिका में प्याज के छिलके और कचरा का अंबार था। रिपोर्टर द्वारा पूछने पर स्थानीय निवासी मीना देवी ने बताया कि यहां की होलिका देाकर ऐसा प्रतीत होता है कि सत्य पर असत्य की विजय की जगह असत्य पर सत्य की विजय हो रहा है। होलिका दहन से पूर्व पूजा की परंपरा रही है। यहां प्याज और कचरे की पूजा की जाएगी।

वीर चंद पटेल पथ

टीम जब वीर चंद पटेल पथ पहुंची तो वहां की होलिका में 15 टायर डाले गए थे। टायर से होलिका दहन करने पर न सिर्फ आस्था का अपमान होता है बल्कि प्रदूषण भी फैलता है। स्थानीय व्यापारी चंदन प्रकाश ने बताया कि होलिका दहन से पूर्व लोग विधि-विधान से पूजा करते हैं। होलिका में आम की लकड़ी डालने की परंपरा है, मगर यहां तो आम की लकड़ी की जगह टायर डालने की परंपरा कई सालों चल रही है।

पीर मुहानी

डीजे आई नेक्स्ट की टीम पीर मुहानी मोड़ पहुंची वहां होलिका में कचरे और 12 टायर डाला गया था। वहां पान के दुकानदार विनोद ने बताया कि ये आस्था नहीं मजाक है। मोहल्ले के लोग होलिका दहन के नाम पर मस्ती करते हैं। कोई भी व्यक्ति होली के इतिहास से वाकिफ नहीं है। इसलिए जिसको जो मन करता है होलिका में आकर डाल देता है।