PATNA: बिहार में खेल योजनाएं दिनों-दिन गर्त में जा रही है। खेल एसोसिएशन जो खेल गतिविधियों की धुरी है उसे समय पर अनुदान नहीं मिलता है। खिलाडि़यों को सम्मान देने के नाम पर भी कोताही हो रही है। खेल के विकास के लिए चलने वाली योजनाएं सचिवालय की फाइलों में दब जाती है। इन सब बातों को लेकर बिहार प्लेयर्स एसोसिशन काफी आक्रोश में है। एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि यदि खेल योजनाएं धरातल पर नहीं आयी तो राज्यभर में आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि योजनाओं का लाभ खिलाडि़यों तक नहीं पहुंच रहा है। इससे राज्य के खिलाडि़यों में निराशा है।

पूर्णकालिक हो प्रधान सचिव

मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सरकार राज्य में खेल के विकास के लिए रोडमैप तैयार करे। खेल के जानकारों, खेल संघों के प्रतिनिधियों और विकसित राज्यों के प्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों की विशेष बैठक कर ठोस पहल की जाय। उन्होंने मांग किया कि कला, संस्कृति और युवा विभाग में पूर्णकालिक प्रधान सचिव पदस्थापित हो। साथ ही विभाग के खाली पदों को भरा जाए।

एसोसिएशन की दस सूत्री मांगें

बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन ने सरकार के सामने दस सूत्री मांगें रखी है। जिसमें खिलाडि़यों की नियुक्ति, खेल विधेयक पर सरकार रूख स्पष्ट करे, ख्ब्ख् स्टेडियमों के निर्माण पर हुई खर्च की जांच निगरानी से जांच कराएं। मोइनुल हक स्टेडियम का जीर्णोद्धार, सीएम द्वारा घोषित खेल अकादमी और एस्टो टर्फ मैदान का निर्माण जल्द हो। गांवों में विशेष प्रतिभा खोज अभियान चलाया जाए। खिलाडि़यों को सरकारी नौकरी दी जाए। फिजीकल कॉलेज को चालू कराने का प्रयास हो। कला, संस्कृति और युवा विभाग के नाम में खेल शब्द जोड़ा जाए।

दिव्यांगों को भी मिले स्थान

आज खेल सम्मान दिवस समारोह है लेकिन सरकार द्वारा बनाए गए खेल कैलेंडर में दिव्यांगों को कोई स्थान नहीं दिया गया है। तोसियाष संस्था के सचिव सौरभ कुमार ने मांग की है कि दिव्यांगों को भी खेल कैलेंडर में जगह दिया जाए।