PATNA : ऑक्सीटॉक्सिन को देश में 10 साल पहले ही जहरीला इंजेक्शन घोषित कर बैन कर दिया गया था। हैरान करने वाली बात यह है कि पिछले 30 सालों से इस इंजेक्शन का निर्माण पटना में एक फैक्ट्री में किया जा रहा था। यह खुलासा पुलिस ने किया है। शुक्रवार को फलों और सब्जियों के वजन को बढ़ाने और मवेशियों के दूध को दोगुना करने वाली जहरीली इंजेक्शन ऑक्सीटॉक्सिन बनाने वाली एक फर्जी कारखाने का पटना पुलिस और औषधि नियंत्रण प्रशासन ने मिलकर पर्दाफाश किया है। कदमकुआं थाना एरिया के मछुआटोली स्थित डॉ। कृष्ण कुमार के घर में छापेमारी कर भारी मात्रा में नकली ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन को बरामद किया गया है। पुलिस ने फैक्ट्री को सील कर दिया है। मामले में दो लोगों को आरोपी बनाया गया है। फिलहाल दोनों पुलिस की गिरफ्त से फरार है।

-1988 में लिया था लाइसेंस

जानकारी के मुताबिक डॉ। कृष्ण कुमार चार भाई हैं। उसका छोटा भाई सुनील कुमार दवा के कारोबार में 1988 से जुड़ा हुआ है। उसने 1988 में लाइसेंस लिया था। लेकिन 10 साल पहले पूरे देश में ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन पर बैन लगा दिया गया। इसके बाद भी इसे बनाकर बाजार में खपा रहा था। नियम के मुताबिक इसे बलिस्टर पैकेट में तैयार किया जाता है। इसे वेटरिनरी हॉस्पिटल में ही रखा जाता है। जिसे डॉक्टर इंमरजेंसी केस में मवेशी के डिलिवरी के समय उपयोग में लाया जाता हैं।

-गावों में ज्यादा डिमांड

ऑक्सीटॉक्सिन का अवैध काराबोर बहुत बढ़ गया है। खटाल चलाने वाले मवेशियों से अधिक मात्रा में दूछ निकालने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। किसान भी फल और सब्जियों के उत्पादन में भी इसका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे दूध और सब्जियों का उपभोग करने पर पुरुष में नपुंसकता बढ़ने लगता है।

-अन्य दवाओं का भी करता है निर्माण

जानकारी के मुताबिक सुनील अपनी फैक्ट्री में कई और तरह की नकली दवाइयों का भी निर्माण करता था। सुनील अधिक कमाई करने के लिए बेबी के लिए प्रोडक्ट तैयार करता था। इस प्रोडक्ट में बड़ी कमाई होती है और इसके बाजार में पकड़ने जाने की कम संभावना होती है। ड्रग विभाग ने इसका सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया है।

कृष्ण कुमार के घर के कैंपस में स्थित दवा बनाने की फैक्ट्री में छापेमारी की गई। जिसमें बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से बनाए गए ऑक्सीटॉक्सिन को बरामद किया गया है। सुनील कुमार के पास दवा बनाने का लाइसेंस है। लेकिन वह इसके आड़ में गलत धंधा कर रहा था। सुनील और अरविंद झा पर मामला दर्ज किया जाएगा।

डॉ सच्चिदानंद विक्रांत, ड्रग इंस्पेक्टर, औषधि नियंत्रण प्रशासन