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PATNA : सत्रहवीं सदी के समय से ही आम भारतीयों को गुलामी की शर्त पर अंग्रेज भारतीयों को विदेशों में मजदूरी के लिए ले गए थे। जिसे 'गिरमिटिया' कहा जाता है। तब हजारों की संख्या में ये भारतीय मजदूर ब्रिटिश गुयाना, डच गुयाना, ट्रिनिडाड, टोबेगा आदि देशों में भेजे गए थे। बिहार के एक ऐसे ही गिरमिटिया, जिन्होने अमेरिका में रहकर न केवल हायर एजुकेशन पूरी की बल्कि अब वे भारतीय मूल के लोगों और गिरमिटिया समाज के लोगों को संगठित करने में भी लगे हैं। हम बात कर रहे हैं डॉ विष्णु बिसराम की। वे दशकों बाद अपने पूर्वजों की भूमि बिहार आए हैं। वे हाल ही में सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू यार्क से रिटायर हुए हैं.आई नेक्स्ट ने उनसे बिहार में शिक्षा व्यवस्था और इसमें सुधार के उपायों पर बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश।

प्रश्न - बिहार शिक्षा में बहुत पिछड़ा है। क्या कारण मानते है?

उत्तर - बिहार में राजनीतिक दखलंदाजी और भ्रष्टाचार के कारण यहां की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है। इसकी नींव सही तरीके से डेवलप होने ही नहीं दिया गया। परीक्षा में चोरी करना अधिकार समझा जाता है। इसका किसी भी स्तर पर समर्थन या प्रश्रय नहीं दिया जाना चाहिए। यह क्वालिटी ऑफ एजुकेशन के खिलाफ है। दरअसल यह एक लंबे समय से नजर अंदाज कर दिया गया है। कम से कम अब तो इसमें सुधार किया जाए।

प्रश्न- शिक्षा में सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए?

उत्तर -मुझे जहां तक जानकारी है, बिहार सरकार इसे कभी प्राथमिकता के तौर पर नहीं रखी है। सबसे पहले तो राज्य बजट का कम से कम पांच प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए। बिहार के पास साधन और क्षमता है। लेकिन, कभी भी इसके लिए सही अवसर देने का प्रयास नहीं किया गया है। दूसरी बड़ी बात कहना चाहूंगा कि यहां बाल श्रम की समस्या जबरदस्त है। इस बारे में ऐसे बच्चों के माता-पिता को समझाने और उनका बचपन बचाने की जरूर है। हां, यह एक दिन में संभव नहीं, एक अभियान की आवश्यकता है।

प्रश्न - अपने बिहार कनेक्शन के बारे में बताएं ।

उत्तर - मैं चौथी पीढी हूं, जिनके पूर्वज मजदूरी करने के लिए वेस्ट इंडीज ले जाए गए थे खेतों में मजदूरी करने के लिए। मूलत: मेरे पूर्वज छपरा जिला में रहते थे। मेरे दादाजी गिरमिटिया थे। लेकिन उन्होंने परिश्रम और शिक्षा का महत्व समझा। शिक्षा से बड़ा बदलाव संभव है.गिरमिटिया जैसे बेहद शोषित समाज को आगे बढ़ाने में मॉर्डन एजुकेशन सिस्टम का योगदान है। वे समाज के लिए आदर्श हैं।

प्रश्न - आपका जीवन अमेरिका में बतौर एक प्रोफेसर के रूप में बीता है। कुछ बातें जो बिहार के लिए मॉडल हो सकता है।

उत्तर- जी, बिहार ही नहीं भारत में कई जगहों पर शिक्षा की हालत अस्त-व्यस्त है। यहां का टॉपर स्कैम जानकर दु:ख हुआ। एक मॉडल के तौर पर बिहार में सभी के लिए समान शिक्षा को सर्वोपरि रूप से लागू करना होगा, जो कि दशकों से नहीं हो पाया है। साथ ही बेहतर रिर्सोसेज जुटाने और उसका लाभ हर वर्ग, जाति व समुदाय के लोगों तक मुहैया कराना होगा। विदेशों में एजुकेशन के यूनिवर्सिलाइजेशन के लिए सरकार ने गंभीरता से काम किया है। ऐसा ही प्रयास यहां भी होना चाहिए।