- पारस गुट का नया दांव, राष्ट्रीय एवं प्रदेश कार्यकारिणी समिति समेत तमाम प्रकोष्ठ को किया भंग

- पारस ने गठित की सोलह सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी

PATNA: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पर कब्जे को लेकर पारस गुट और चिराग गुट में 'शह और मात' का खेल जारी है। पारस गुट को जवाब देने के लिए चिराग पासवान ने रविवार को दिल्ली में अपने आवास पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इसमें चिराग अपने पक्ष के कार्यकारिणी सदस्यों के संग 'शक्ति प्रदर्शन' करेंगे। वहीं पारस गुट ने शनिवार को नया दांव चलते हुए लोजपा के राष्ट्रीय एवं प्रदेश के विभिन्न प्रकोष्ठों की कमेटियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया।

चिराग को बैठक बुलाने का अधिकार नहीं

पशुपति कुमार पारस ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय, प्रदेश एवं विभिन्न प्रकोष्ठों की कमेटियों की घोषणा जल्द की जाएगी। चिराग गुट द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाए जाने पर पारस ने कहा कि चिराग को यह बैठक बुलाने का अधिकार नहीं है। पार्टी संविधान के मुताबिक वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। फिलहाल पार्टी की सोलह सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी गठित कर दी गई है। इसमें सांसद चौधरी महबूब अली कैसर, सांसद वीणा देवी, पूर्व सांसद वीणा सिंह, पूर्व विधायक सुनीता शर्मा तथा अनिल चौधरी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सांसद चंदन सिंह एवं प्रिंस राज, पूर्व विधायक विरेश्वर सिंह, डॉ। उषा शर्मा, राकेश चौधरी, रणवीर सिंह गुठा, रामजी सिंह और राज कुमार राज को महासचिव, हीरा प्रसाद मिश्रा को सचिव, संजय सर्राफ को राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं महासचिव, विनोद नागर को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं प्रवक्ता नियुक्त किया गया है। एक सवाल पर उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग को कार्यकारिणी के सदस्यों की सूची अभी इसलिए नहीं सौंपी गई है कि नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी से मंजूरी ली जाएगी।

चिराग के साथ बहुमत : राजू तिवारी

लोजपा (चिराग गुट) की बैठक में रविवार को यह तय हो जाएगा कि कार्यकारिणी में बहुमत किसके साथ है। प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने दिल्ली से दूरभाष पर दावा किया कि कार्यकारिणी के 80 फीसद सदस्य चिराग की बैठक में सशरीर मौजूदगी दिखाएंगे। शेष 20 फीसद सदस्य जो केंद्र शासित प्रदेशों के अध्यक्ष एवं सदस्य हैं, बैठक में वर्चुअल जुड़ेंगे। पारस गुट द्वारा राष्ट्रीय एवं प्रदेश की कार्यकारिणी और विभिन्न प्रकोष्ठों को भंग किए जाने के सवाल पर कहा कि यह हास्यास्पद है। पार्टी से निष्कासित पशुपति कुमार पारस को अधिकार नहीं है कि वे कार्यकारिणी या प्रकोष्ठों को भंग करें।