-सीएम बोले, आपके मन में कुद दाएं-बाएं है तो यह मैं नहीं जानता

-थाने में पहुंचे पीडि़त को लिखिल कंप्लेन करने की बाध्यता नहीं

क्कन्ञ्जहृन्: जब सजा ही नहीं होगी तो कानून का राज किस बात की? बिहार में कानून के राज की स्थापना में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। सजा होती है तभी अपराधी शांत रहते हैं। लोगों के मन में डर नहीं भरोसे का भाव पैदा होता है। केस का ट्रायल समय पर होना चाहिए। यह बातें सीएम नीतीश कुमार ने कही। उन्होंने अधिवेशन भवन में बिहार ज्यूडिशियल एकेडमी द्वारा इफे1िटव इंवेस्टिगेशन, स्पीडी ट्रायल एंड टाइमली जस्टिस विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। विधि मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, मु2य सचिव अंजनी कुमार सिंह, डीजीपी पीके ठाकुर, न्यायाधीश और जिलों के डीएम-एसपी मौजूद थे।

ठीक से रखें बात

सीएम ने कहा कि लोक अभियोजक (पीपी) कोर्ट में अपनी बातें तथ्य और तर्क के साथ रखेंगे तभी उसका मतलब है। आपकी तैयारी है या नहीं अथवा फिर आपके मन में कुछ दाएं-बाएं है यह मैं नहीं जानता। डीएम के स्तर से यह मॉनीटर होना चाहिए कि जिले के स्तर पर जो केस चल रहे हैं उसमें सरकारी वकील ठीक से और समय पर अपनी बात रख रहे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि लोकसेवकों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में भी इस बात का 2याल रखा जाए कि उन्हें सजा हो। समय कानूनी कार्रवाई से बड़ा असर पड़ता है।

एसआई को भी करें ट्रेंड

सीएम ने कहा कि ज्यूडिशियल एकेडमी में एसपी स्तर के अफसरों की ट्रेनिंग के अलावा एसआइ स्तर के पुलिस अधिकारियों को भी कुछ न कुछ पाठ्यक्रम बनाकर छोटी-छोटी ट्रे्निंग दी जानी चाहिए। पहले एडीजी मु2यालय हर रोज जिले के एसपी से बात करते थे। 2006 में आरंभ हुए स्पीडी ट्रायल की चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि पहले एडीजी पुलिस मु2यालय हर रोज जिले के एसपी से बात कर सरकारी गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित कराते थे। आजकल यह हो रहा या नहीं यह मुझे नहीं मालूम।

सरकार अफसर देने को तैयार

सीएम ने कहा कि अफसरों की सं2या बढ़ाने को लेकर सरकार हमेशा से तैयार रही है। जितने अधिकारी चाहिए हम देंगे पर नियु1ित तो पुलिस को ही करनी है। पुलिस में नियु1ित पुलिस के अधिकारी को ही करना है। पुलिस तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए सरकार को 1या करना है इसका प्रस्ताव बढ़ाइए। इस अवसर पर सूबे के आला अधिकारी मौजूद थे।