- चौथे दिन भी जेडीए मांगों को लेकर अडे़, अनुशासन समिति करेगा कार्रवाई

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लगातार चार दिनों से पटना में पीएमसीएच समेत पूरे प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। शुक्रवार को सरकार के सख्त आदेश के बावजूद जूनियर डॉक्टरों के उपर कोई असर नहीं हुआ। उल्टे, उन्हें उनके स्टाइपेंड को बढ़ाने की मांग को समर्थन करने के लिए यूनाइटेड रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन भी सामने आ गया है। पीएमसीएच में चौथे दिन भी मरीजों को देखने का सामान्य कामकाज प्रभावित रहा। वहीं, इंडोर के पेशेंट का हाल सबसे बुरा है। कई पेशेंट ऐसे हैं जिन्हें स्ट्राइक के दौरान डॉक्टर से भेंट नहीं हुई है। इसके कारण उनकी समस्या और बढ़ गई है। इसमें बेहद गरीब और लाचार मरीज ही अभी डॉक्टर की आस पर हैं। बाकी हड़ताल के दूसरे दिन से ही प्राइवेट हॉस्पिटलों में शरण ले चुके हैं।

जूनियर डॉक्टरों को समर्थन

यूनाइटेड रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से प्रदेश भर के जूनियर डॉक्टरों के एक सूत्री मांग का समर्थन किया गया है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ विनय कुमार ने बताया कि सरकार ही वर्तमान व्यवस्था के लिए दोषी है। यूआरडीए के अनेक बार आग्रह और अल्टीमेटम के बाद भी सरकार ने मांग को अनसुना किया है। स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग के संबंध में सरकार का भी संकल्प है। 2014 में ही हर तीन साल पर स्टाइपेंड रिवाइज करने की घोषणा है। यदि सरकार मांग नहीं मानती है तो उनका एसोसिएशन भी स्ट्राइक पर जा सकता है।

सुधार की गति धीमी

पीएमसीएच में मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ विमल कारक स्ट्राइक को लेकर व्यवस्था सुधारने में लग गए हैं। हालांकि इसे अभी गति नहीं मिल पाई है। उन्होंने सिविल सर्जन से स्ट्राइक को देखते हुए दूसरे दिन ही 50 डॉक्टरों की मांग की थी। हालांकि यहां कैंपस में इनमें से मात्र 18 डॉक्टरों ने ही ज्वाइन किया है। डॉ विमल कारक ने बताया कि व्यवस्था नार्मल करने की कोशिश है। उन्होंने बताया कि शनिवार को ओपीडी में 950 और इमरजेंसी में 323 मरीज देखे गए।

अटेंडेंट बनाकर गए स्ट्राइक पर

जहां एक ओर सरकार ने नो वर्क, नो पे का नियम मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों पर लागू कर दिया है, तो वहीं ये भी इसे झूठलाने में लगे हैं। एनएमसीएच में दोपहर बाद प्रिंसिपल और सुपरीटेंडेंट ने विभिन्न विभागों में राउंड लगाया। इसमें पाया गया कि कई डॉक्टरों ने अपनी उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज की है जबकि वे कार्यस्थल पर नहीं थे। इस बात की पुष्टि मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ विनोद कुमार सिंह ने भी की।

पीएमसीएच में 14, एनएमसीएच में चार ऑपरेशन

शनिवार को पीएमसीएच में सात मेजर और सात माइनर ऑपरेशन किए गए। जबकि एनएमसीएच में चार ऑपरेशन किए गए। एनएमसीएच में 915 मरीज ओपीडी में पहुंचे। यहां जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी के सामने नारेबाजी की जबकि ओपीडी में सीनियर डॉक्टरों ने मरीजों को देखा। एनएमसीएच के सुपरीटेंडेंट डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि ओपीडी में 668 और इमरजेंसी में 154 मरीज देखे गए।

डिपार्टमेंट हेड से मांगी जानकारी

जूनियर डॉक्टरों की उपस्थिति और काम में शामिल रहने या स्ट्राइक में शामिल रहने की स्थिति स्पष्ट करने को विभाग ने आदेश जारी किया है। इसे देखते हुए एनएमसीएच में सुपरीटेंडेंट और प्रिंसिपल ने डिपार्टमेंट हेड से इसकी जानकारी को अपडेट करने का निर्देश दिया है। ताकि अग्रेतर कार्रवाई की जा सके।

वार्ता विफल, कार्रवाई करने का निर्णय

पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) में जूनियर डॉक्टर पीएमसीएच के टीओपी थाना के सामने तंबू गाड़ धरने पर बैठ गए। अस्पताल प्रबंधन से वार्ता विफल रही। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने वार्ता के लिए पीएमसीएच प्राचार्य व अधीक्षक को अधिकृत किया। इसके बाद अनुशासन समिति के समक्ष जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन कमेटी को बुलाया गया। एक महीना के लिए हड़ताल टाल देने का आग्रह किया गया। इसके बाद उनकी मांगों को लेकर प्रधान सचिव से बात करने की जानकारी दी गई, लेकिन जूनियर डॉक्टर तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि हड़ताल का निर्णय पूरे राज्य का है। ऐसे में केवल पीएमसीएच कमेटी निर्णय नहीं ले सकती है। पीएमसीएच प्राचार्य डॉ। विद्यापति चौधरी की अध्यक्षता में अनुशासन समिति की बैठक हुई। इसमें हड़ताली डॉक्टरों पर कार्रवाई का निर्णय लिया गया।

कार्य बाधित करने पर होंगे निलंबित जूनियर डॉक्टरों की उपस्थिति रजिस्टर सीज कर ली गई है। अब विभागाध्यक्ष कार्य करने वाले जूनियर डॉक्टर का हस्ताक्षर सादा पेपर पर कराकर भेजेंगे। कार्य नहीं करने वालों का भुगतान नहीं किया जाएगा। उपचार कार्य में बाधा पहुंचाने वाले डॉक्टरों को निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ। बिमल कारक, अधीक्षक, पीएमसीएच