- बिल्ड अप एरिया को लेकर एनसीटीई खड़ा कर रहा विवाद

- पीयू ने कहा, यहां इसी सत्र में एडमिशन लेकर दिखाएंगे

PATNA :

पटना यूनिवर्सिटी में एमएड कोर्स की मान्यता एनसीटीई ने वापस ले ली है। एनसीटीई ने पीयू को भेजे गए लेटर में कहा है कि मान्यता के प्रावधान के अनुसार एमएड कोर्स के लिए कम से कम 2500 स्क्वायर मीटर का स्पेस होना चाहिए। लेकिन पीयू के पास करीब 1400 स्क्वायर मीटर का ही स्पेस है। ऐसे में नए सत्र से यहां एमएड की पढ़ाई नहीं हो सकेगी। इसे लेकर पटना यूनिवर्सिटी और एनसीटीई आमने-सामने हैं। एमएड कोर्स का संचालन पटना यूनिवर्सिटी के अंतर्गत पीजी डिपार्टमेंट में किया जाता है। पटना ट्रेनिंग कॉलेज में बीएड और एमएड दोनों की पढ़ाई होती है।

पीयू का तर्क

इस मामले पर पटना यूनिवर्सिटी के एजुकेशन डिपार्टमेंट के हेड डॉ खगेंद्र कुमार ने कहा कि यह सिंगल इंस्टीट्यूशन नहीं है। यह यूनिवर्सिटी के पीजी डिपार्टमेंट में संचालित है। एनसीटीई के ही 2009 रेग्यूलेशन के अनुसार एमएड कोर्स चलाने के लिए मात्र 500 स्वायर मीटर की जमीन ही चाहिए। लेकिन अब जो निर्णय एनसीटीई ने लिया है, वह गलत है। उन्होंने कहा कि यहां बीएड और एमएड दोनों कोर्स चलता है और दोनों ही कोर्सेज के लिए अलग-अलग और पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर है। उन्होंने कहा कि एजुकेशन तीन यूनिट में हैं और सभी के लिए समुचित बिल्डअप एरिया है। वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज, पटना ट्रेनिंग कॉलेज और ट्रेनिंग कॉलेज में संचालित एमएड एरिया की अलग से मान्यता है।

मामला कोर्ट में भी जाएगा

इस मामले पर डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन का कहना है कि यह एनसीटीई की भूल है। इसकी सही तरीके से जांच-परख ही नहीं की गई है और मनमाफिक तरीके से निर्णय दिया गया है। डॉ खगेंद्र कुमार ने बताया कि इस बारे में एनसीटीई को मान्यता पुन: बहाल करने की मांग की गई है। साथ ही यह बताया गया है कि कैसे यह मान्यता के लिए हर शर्त को पूरा करता है। लेकिन इसे लेकर तनाव बढ़ाने की कोशिश हो रही है। इसलिए इस मामले को कोर्ट में भी ले जाएंगे और न्याय मांगेगें।

छात्रों पर होगा बड़ा असर

पटना यूनिवर्सिटी के अंतर्गत पटना ट्रेनिंग कॉलेज में एमएड के कोर्स की मान्यता जाने से बहुत ही नकारात्मक असर होगा। क्योंकि यहां बहुत ही कम फीस में स्टूडेंट्स को एमएड की पढ़ाई की जाती है। यहां पूरे बिहार से छात्र पढ़ाई करने के लिए आते है और यहां अन्य किसी भी निजी संस्थान की तुलना में सभी प्रकार की शैक्षिक सुविधाएं व लैब आदि उपलब्ध हैं। इसलिए मान्यता जाने से बिहार के सबसे प्रीमियर इंस्टीट्यूट से एमएड करने अब सपना ही रह जाएगा।

एनसीटीई पर ही सवाल

यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी एनसीटीई के द्वारा यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट के अंतर्गत संचालित इस बीएड कोर्स की मान्यता पर सवाल उठाया गया था। बिहार में एमएड की पढ़ाई कुल 20 संस्थानों में होती है। जिसमें पीयू सबसे प्रीमियर संस्थान है। पीयू के एजुकेशन डिपार्टमेंट के हेड डॉ खगेन्द्र कुमार का कहना है कि यदि दो-चार संस्थानों को छोड़ दें तो बिहार में अधिकांश संस्थान मान्यता के लिए जरुरी बिल्डअप एरिया और शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। लेकिन वहां एनसीटीई को कोई कमी नजर नहीं आता है और पीयू के इस प्रीमियर संस्थान पर सवाल उठाया जाता है।

अचीवमेंट में है अव्वल

पटना ट्रेनिंग कॉलेज का एकेडमिक रिकार्ड शानदार रहा है। यहां बिहार के किसी भी संस्थान से ज्यादा छात्र अचीवमेंट में अव्वल है। यहां प्रति वर्ष औसतन 40 प्रतिशत स्टूडेंट्स नेट जेआरएफ क्वालिफाई करते हैं। जबकि ऐसा बेहतरीन रिकार्ड किसी अन्य संस्थान से नहीं आता है।

गरीब छात्रों पर असर

इस मामले पर पीयू की ओर से बताया गया कि एमएड कोर्स की मान्यता छीन जाने से बिहार के गरीब छात्र बेहद प्रभावित होंगे। डॉ खगेंद्र कुमार ने बताया कि मात्र दो हजार रुपये में कहीं भी एमएड का कोर्स पूरा नहीं कराया जाता है। लेकिन मान्यता जाने से गरीब छात्रों के पास विकल्प ही नहीं रह जाएगा। क्योंकि इसे छोड़कर अन्य संस्थान में दो लाख रुपये की फीस लगती है।

-एमएड की सीट- 50

-मा‌र्क्स बेसिस पर एडमिशन

-पीयू के छात्रों के लिए 80 प्रतिशत सीट रिजर्व

- कोर्स ड्यूरेशन- दो वर्ष

मामले पर पीयू ने भी अपना पक्ष रखा है। एनसीटीई की मंशा है कि यूनिवर्सिटी लेवल के संस्थान बंद हो जाए। मामले को ठीक से नहीं जांचा-परखा गया है। इस मामले को लेकर अब कोर्ट में ले जाएगा जाएगा ताकि नए सत्र में एमएड कोर्स का संचालन हो सके।

- डॉ खगेंद्र कुमार हेड डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन पीयू

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