PATNA : बारिश शुरू होते ही पटनाइट्स को जलजमाव की स्थिति सताने लगती है लेकिन वह खुद भी इसका हल निकाल सकते हैं। अगर पटनाइट्स अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाएं तो सड़कों पर वर्षा का पानी जमा नहीं होगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एक ऐसा सरल उपाय है जिससे न सिर्फ सड़कों पर पानी लगना कम होगा बल्कि भूजल स्तर भी बढ़ेगा। पटना में तेजी से जल स्तर गिरता जा रहा है जिससे लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पटना के सड़कों पर जलजमाव के रूप में वर्षा का जल बर्बाद हो रहा है। अगर पटना के सारी इमारतों में यह सिस्टम लगाया जाए तो जल के संकट से निजात पाया जा सकता है।

जल संकट से मिल सकता

है छुटकारा

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर जलजमाव जैसी परेशानियों से निजात पाया जा सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने से वर्षा का सारा पानी सीधे भूजल में चला जाता है जिससे सड़कों पर पानी जमा नहीं होता है और वर्षा का सारा जल इस्तेमाल में भी आ जाता है। इसके अलावा भूजल स्तर बढ़ जाता है जिससे जलसंकट से छुटकारा पाया जा सकता है।

-पटना के इन इलाकों में हो रहा जलजमाव

बारिश के दिनों में पटना के कंकड़बाग, पटना जंक्शन, स?जीबाग, खैतान मार्केट, मछुआ टोली आदि इलाकों की सड़कों पर वर्षा का पानी जमा हो जाता है। जिससे वर्षा का सारा जल बर्बाद हो जाता है। सड़कों और नालो में पानी जमा होने के कारण लोग अपने घरों से बाहर नहींनिकल पाते है। सड़कें खराब होने लगती है। कभी-कभी तो बारिश का पानी घरों के अंदर भी घुस जाता है।

हर साल समस्या

डीजे आई नेक्स्ट को एक्सप‌र्ट्स ने बताया कि पटना में हर साल लोगों को पानी की समस्या झेलनी पड़ती है। इसका एक बड़ा फैक्टर बढ़ती हुई आबादी भी है। पटना की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है और वाटर रिसोर्सेस कम हो रहे हैं। ऐसे में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर बर्षा जल को संचय कर उपयोग में लाया जा सकता है।

हर साल बढ़ रही आबादी

पटना की आबादी दस वर्षों में करीब डेढ़ गुना बढ़ गई है और भूजल स्तर के 25 फीट नीचे जाने की आशंका जताई जा रही है। जैसे जैसे आबादी बढ़ रही है वैसे ही जल की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। जिसके कारण संसाधन भी खत्म होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। भूजल स्तर काफी तेजी से नीचे जा रहा है। जहां लोगों को बोरिंग कराने पर 15 फीट में पानी मिल जाता है वहीं अब 25 फीट पर पानी मिल रहा है। भूजल स्तर में तेजी से हो रही गिरावट जल संकट के ओर इशारा करता है।