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PATNA : प्रदूषण को लेकर यदि आप गंभीर नहीं है तो सावधान हो जाइए! क्योंकि ये ऐसी बीमारी दे रहा है जिसे मेडिकल डिक्शनरी में साइलेंट किलर का नाम दिया गया है। ऐसे रोगियों के लिए प्रदेश में इलाज की व्यवस्था नहीं है। लेकिन जल्द ही इस समस्या से निजात मिलनेवाली है। क्योंकि आइजीआइएमएस के इएनटी विभाग में एम्स के टक्कर का इलाज देने की तैयारी चल रही है।

सोते-सोते हो जाती है मौत

डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के गले में मांस बढ़ जाता है जो सांस की नली को जाम कर देता है। इसके बाद मांस बढ़े वाले स्थान पर लार इकट्ठा होता है जिससे सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है।

जब तक इंसान जागता है और काम काज में व्यस्त रहता है तब तक उसे पता नहीं चलता है लेकिन जब सोता है तो नाक के बजाए मुंह से सांस लेने लगता है। फिर खर्राटे लेने लगते हैं। इसी स्थिति में कभी कभी मौत हो जाती है। ऐसी मौत को लोग अमूमन हार्ट अटैक मान लेते हैं।

पकड़ में नहीं आती बीमारी

आइजीआइएमएस के ईएनटी विभाग के एचओडी डॉ राकेश कुमार सिंह का कहना है कि जिस तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से मरीजों की संख्या भी। वहीं अस्पतालों में संसाधन नहीं होने से रोग की पहचान नहीं हो पाती है। लिहाजा मरीजों को दिल्ली और अन्य महानगरों की तरफ रूख करना पड़ता है। आई नेक्स्ट की पड़ताल में एक ऐसा मरीज मिला जिसका इलाज एम्स दिल्ली से हुआ लेकिन राहत नहीं मिला। अब उसका इलाज आइजीआइएमएस में चल रहा है।

बीमारी से तबाह हो गया जीवन

मोतिहारी के शिक्षक दंपत्ति प्रभात कुमार और उनकी पत्‍‌नी रुचि का जीवन इस बीमारी से तबाह हो गया था। प्रभात की हालत ऐसी थी कि वह बाइक पर चलते-चलते सो जाते थे। इसके पीछे कारण था सांस की नली जाम होना और रात में नींद पूरा नहीं होना। आफिस और ट्रेन में भी वह उपहास बन जाते थे। बहुत इलाज कराया लेकिन आराम नहीं मिला। एम्स दिल्ली में भी काफी लाज हुआ लेकिन समस्या बनी रही। पति पत्‍‌नी ही नहीं आस पास के लोगों के संबंध में भी ये बीमारी खटास का कारण बनने लगी थी। किसी ने आईजीआईएमएस की सलाह दी उसके बाद इलाज से पचास प्रतिशत बीमारी ठीक हो गई है।

ये लक्षण है तो डॉक्टर से मिलें

रात में नींद नहीं पूरी होना

सोते समय खर्राटे लेना

अचानक नींद खुल जाना और सांस फूलने की शिकायत होना

अचानक व्यवहार में परिवर्तन आना और चिढ़चिढ़ापन होना

शुगर बीपी और कोलेस्ट्राल का लेबल बढ़ जाना