दुर्गापूजा में साइक्लोन का असर होने के कारण रावण वध में भी इसका असर दिखा। रावण को जलाने के लिए गांधी मैदान लाया तो गया लेकिन राम जी के बदले रावण मौसम से ही हार मान ली। रावण वध को लेकर 12 अक्टूबर को ही रावण के साथ मेघनाद और कुंभकर्ण को गांधी मैदान में लाया गया।
टूटे रावण के पांव
तीनों को गांधी मैदान में रस्सी के सहारे खड़ा किया गया। लेकिन तेज बारिश के सामने रावण टिक नहीं पाया और जलने के दो घंटे पहले ही रावण के पांव टूट गए। इससे रावण धड़ाम से गांधी मैदान में ही गिर गया। फिर आयोजकों ने जैसे-तैसे बांस के सहारे रावण को खड़ा किया। इस संबंध में रावण वध आयोजन समिति के कमल नोपानी ने बताया कि रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद तीनों 50 परसेंट तक ही जल पाए। इस बार रावण वध देखने लगभग तीन हजार लोग आए जो पिछले सालों के मुकाबले कम था।
नहीं निकली शोभायात्रा
गांधी मैदान की तरह ही मनोज कमलिया स्टेडियम में भी रावण वध का मजा फैलिन ने किरकिरा कर दिया। यहां 65 फीट रावण के पुतला को खड़ा करने में सफलता तो पा ली। लेकिन दोपहर तीन बजे फिर बारिश होने लगी। जल्लावाले महावीर मंदिर से शोभायात्रा तक नहीं निकल सकी। जैसे तैसे रावण वध का प्रोग्राम शुरू हुआ। लेकिन राम के तीर से रावण नहीं जल रहा था तो तलवार से विभीषण ने नाभि में बाण मारने को कहा। नाभि में बाण लगते ही रावण जलने लगा। कुछ देर जलने के बाद वह मुंह के बल गिर गया। आतिशबाजी हुई और बारिश के बीच रावण का पुतला आधा घंटा तक जलता रहा।