- के सेंथिल कुमार के समय में पीआरडीए ने पास किया था नक्शा

- नक्शे का वाइलेंस कर जैसे-तैसे बनाया गया कंस्ट्रक्शन

- प्लॉट नंबर 65 के कंस्ट्रक्शन का निगम के पास है दस्तावेज, 66 का कोई पता नहीं

PATNA: पटना सेंट्रल मॉल पर तालाबंदी के साथ ही एक बार फिर से निगम के अंदर और बाहर उन फाइलों की चर्चा शुरू हो गई है, जिसकी वजह से निगम के कई ऑफिसर्स पर गाज गिरी थी। तत्कालीन कमिश्नर के सेंथिल कुमार पर भी विजिलेंस जांच की गई थी। वर्ष ख्009 की उन तमाम फाइलों पर से एक बार फिर से परत उठाना शुरू हो गया है। निगम के पुख्ता सोर्सेज की मानें, तो जब विजिलेंस की जांच में शहर के क्फ्0 प्लान केस को गड़बड़ी में पकड़ा गया था। उसमें से फ्फ् नंबर पर प्लॉट नंबर म्भ् भी शामिल है। जिस पर पटना सेंट्रल मॉल बनाया गया है। पीआरडीए से पास नक्शे की प्रति में भी बी प्लस जी प्लस फाइव तक लिखा हुआ है, जबकि अभी सिक्स्थ और सेवन भी बन चुका है। विजिलेंस जांच के दौरान भी इस प्लॉट के बारे में पता चला कि धोखाधड़ी और मिलीभगत से फ्रेजर रोड स्थित प्लॉट नंबर म्भ् का नक्शा रिवाइज करवा लिया गया था। उस समय के विजिलेंस जांच में इंजीनियर की रिपोर्ट पर विजिलेंस को शक हुआ, क्योंकि इंजीनियर ने कहा था कि प्लॉट नंबर म्भ् पर कंस्ट्रक्शन हो चुका है। जबकि वहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। नए रिवाइज नक्शे में पार्किंग से लेकर रेस्ट कंस्ट्रक्शन नक्शा भी प्लॉट नंबर म्भ् पर ही दिखाया गया है। इस दौरान प्लॉन नंबर म्म् की बात कहीं से भी शामिल नहीं है।

सात सालों से अपनी मर्जी से करता रहा काम

सात साल पहले ख्007 में पीआरडीए को डिजॉल्ब कर पीएमसी में मिला दिया गया था। इसके बाद पीआरडीए जो नक्शा पास करती थी, वह काम भी निगम की ओर से इन पैनल आर्किटेक की जवाबदेही दे दी गयी। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान बीच में लगभग छह महीने का वक्त लगा था। ऐसे में निगम के सीनियर से लेकर जूनियर ऑफिसर्स की मिलीभगत से बैक डेट में सारे नक्शे पीआरडीए की ओर से पास करवा दिया गया था। यह सब काम उन आर्किटेक के सामने हो रहा था। जिसे निगम ने इन पैनल किया था। फिर क्या था। जैसे ही भ्क् आर्किटेक को पावर दिया गया। उसने चेंबर में बैठे-बैठे ही प्लॉट देख लिया और नक्शा पास करवा दिया। इसमें कई आर्किटेक करोड़ पति भी बन गए हैं, लेकिन हाईकोर्ट में नरेंद्र मिश्रा के पीआईएल की सुनवाई के दौरान इन सबसे पर्दा उठा और ख्0क्फ् से अब तक लगातार ब्79 बिल्डिंग की सुनवाई निगम निगरानी कोर्ट में चल रहा है।

एडमिनिस्ट्रेशन ने हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

प्लॉट नंबर म्भ् के दो फ्लोर और प्लॉट नंबर म्म् के तमाम कंस्ट्रक्शन को सील करने के साथ ही एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी ओर से हाईकोर्ट को एपिड डेविड तैयार कर दे दी है। रेस्ट इन एरिया में किसी भी तरह की पब्लिक एक्टिविटी को रोक दिया गया है। अब ख्0 नवंबर को हाईकोर्ट में इस मसले पर आगे की सुनवाई होगी।

नक्शा नहीं हो पा रहा पास

प्लानिंग रिपोर्ट लेकर धूम रहे राज शेखर कुमार ने बताया कि नक्शा पास कराने के लिए लगातार परेशान हैं। प्लानिंग रिपोर्ट कई महीने बाद मिला है। लेकिन निगम का आर्किटेक नहीं होने पर बाहर से नक्शा बनाने से डर रहे हैं, क्योंकि अगर निगम ने बाहर के आर्किटेक्ट के नक्शा को गलत बता दिया तो फिर प्रॉब्लम बढ़ सकती है। वहीं निगम की ओर से ऑफिसर्स ने बताया कि बाहर के किसी भी आर्किटेक्ट से वह नक्शा बनाकर दे सकते हैं। निगम उसकी जांच के बाद ही आगे का काम करने जा रही है।